For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- ये मेरा असर है ( गिरिराज भंडारी )

122    122 

ले, कदमों पे सर है

लो, अब भी कसर है

 

जो मर ही चुके हो

तो अब किसका डर है

 

नहीं ख़त्म होगा

ये मेरा असर है

 

नहीं कोई मंज़िल

महज़ रह ग़ुज़र है

 

तो घर में ही बैठो

अगर तुमको डर है

 

लिखे शह्र जिसको

हमें वो शहर है

 

नहीं है जो कड़वा

वो मीठा ज़हर है

 

लो, अन्धों से  सुन लो 

कहाँ रह गुज़र है

****************

मौलिक एवँ अप्राशित

 

Views: 915

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 8, 2015 at 5:12am

आदरणीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धन और सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया , मन प्रसन्न होगया  आपको देख कर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:23am

इस ग़ज़ल पर तो अच्छी बातें हुईं, इसके लिए धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भाई.

जो मर ही चुके हो
तो अब किसका डर है.. .. इस शेर का मेयार कमाल का है.

लो, अन्धों से सुन लो
कहाँ रहगुज़र है.. .       वाह वाह ! क्या कह डाला !!

ऐसी प्रस्तुतियाँ ही मंच की तारीख का हिस्सा बनती हैं.
शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 1:44pm

आदरणीय मोहन भाई , हौसला अफ्ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by मोहन बेगोवाल on June 28, 2015 at 1:36pm

    आप जी की ग़ज़ल से आदरणीय वीनस भाई ,से नई बात पता चली -आप जी को मुबारक और वीनस जी का धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 1:35pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:35am

सर/कसर का जादू 

लिखे शह्र जिसको

हमें वो शहर है.......... हा हा हा बढ़िया कही ... बड़ा परेशां किया इस शहर ने 

बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 27, 2015 at 8:56am

आ. श्री सुनील भाई , आपकी बात से सहमत हूँ , मतला बदलने से वो बात नहीं आ रही थी । आपका शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 27, 2015 at 8:55am

आदरणीय वीनस भाई , क्या बात है , क्या खूबसूरत जानकारी साझा की है आपनें । मतला बदलने से वो बात नहीं आ रही थी , जो मै चाह रहा था , पर मज़बूरी मे बदल रहा था । बहुत बढ़िया , जानकारी ने खामी को ख़ासियत मे बदल दिया ॥ आपका बहुत आभार !!

Comment by shree suneel on June 27, 2015 at 8:16am
आदरणीय वीनस केसरी सर, आपने गिरिराज सर के इस मतले को संभाल लिया. साथ हीं अच्छी जानकारी साझा की. आ0 गिरिराज सर जो रद्दोबदल करना चाह रहे थे उसमें वो बात (लुत्फ़) नहीं जो पहले के मतले में थी. छोटी बह्र के कारण वो बात बनाये रखने की गुंजाइश भी कम दिख रही थी दूसरे मतले में. अच्छी, खा़स जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद सर जी.
Comment by वीनस केसरी on June 27, 2015 at 12:45am

ले, कदमों पे सर है

लो, अब भी कसर है

 
इस मतले को एक नज़र देखने पर लग सकता है कि आगे के कवाफ़ी में हर्फे रवी के साथ हमें की बंदिश रखनी होगी और अगर ऐसा न किया तो ग़ज़ल में काफिया का ऐब आ जायेगा और इस ऐब को दूर करने के लिए हमें मतला में काफिया को दुरुस्त कर लेना चाहिए | अभी तक इस मंच पर इस विषय में जो चर्चाएँ हुई हैं उसके अनुसार भी यही उचित लगता है
परन्तु अब काफिया के विषय में एक जरूरी बात इस ग़ज़ल के सन्दर्भ से कहनी आवश्यक हो गयी है

यदि हम पहले मिसरे में कोई शब्द काफिया बांधते हैं और दूसरे मिसरे में उस काफिया के पूरे शब्द को दूसरे अर्थों के साथ फिर से ले आते हैं तो इसे बहुत बड़ा गुण माना जाता है ... जैसा कि इस ग़ज़ल के मतले में हुआ है ,,,सर के साथ कसर का काफिया लाया गया है ग़ज़ल के इतिहास को टटोलें तो ऐसे कम ही उदाहरण मिलेंगे क्योकि ऐसा कर पाना सरल नहीं है मगर सभी उस्तादों के यहाँ ऐसी कुछ ग़ज़लें अवश्य मिल जायेंगी 

इस सन्दर्भ में अभी चचा दाग़ की एक मशहूर ग़ज़ल से चंद अशआर देखें
यदि मेरे कहे पर किसी को कोई शंका हो तो २-४ और उदाहरण पेश कर दूंगा ......

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूठी क़सम से आपका ईमान तो गया

दिल ले के मुफ़्त, कहते हैं कुछ काम का नहीं
उलटी शिकायतें रहीं, एहसान तो गया


होशो-हवासो-ताबो-तवाँ 'दाग़' जा चुके
अब हम भी जाने वाले हैं, सामन तो गया

-----: दाग देहलवी

और ऐसा होने पर शाइर को छूट मिल जाती है कि वो आगे काफिया में जैसी बंदिश रखना चाहे रखे ,,, मतलब हर्फे रवी के अतिरिक्त अन्य किसी हर्फ़ को निभाने या न निभाने की छूट मिल जाती है

जैसे मान ईमान के बाद अहसान बाँध लिया गया है
याद रखें ये दोष नहीं है बल्कि इसे शाइरी में गुण की तरह स्वीकार किया गया है ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service