For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा देश महान/तीन कुण्डलिया छंद/कल्पना रामानी

1) 

सोने की चिड़िया कभी, कहलाता था देश

नोच-नोच कर लोभ ने, बदल दिया परिवेश।   

बदल दिया परिवेश, खलों ने खुलकर लूटा। 

भरे विदेशी कोष, देश का ताला टूटा।

हुई इस तरह खूब, सफाई हर कोने की,

ढूँढ रही अब डाल, लुटी चिड़िया सोने की।

2)

पावन धरती देश की, कल तक  थी बेपीर।

कदम कदम थीं रोटियाँ, पग पग पर था नीर।

पग पग पर था नीर, क्षीर की बहतीं नदियाँ,

निर्झर थे गतिमान, रही हैं साक्षी सदियाँ।

सोचें इतनी बात, आज क्यों सूखा सावन?

झेल रही क्यों पीर, देश की धरती पावन।

3)

कोयल सुर में कूकती, छेड़ मधुरतम तान।

कूक कूक कहती यही, मेरा देश महान।

मेरा देश महान, सुनाती है जन जन को,

रोक वनों का नाश, कीजिये रक्षित हमको।

कहनी इतनी बात, अगर वन होंगे ओझल।

कैसे मीठी तान, सुनाएगी फिर कोयल।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on May 23, 2014 at 8:10pm

आपका सादर धन्यवाद आदरणीय सत्यनारायन जी

Comment by Satyanarayan Singh on May 22, 2014 at 10:25pm

इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया कल्पना रामानी जी 

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 7:53pm

आदरणीय सौरभ जी, आपकी उपस्थिति से रचना का मान बढ़ जाता है। आपका  सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 7:51pm

आदरणीया प्राची जी, आपका कहना बिलकुल सही है, कभी कभी ध्यान चूक जाता है। इंगित करने  के लिए बहुत धन्यवाद आपका, सही शब्द मिलते ही संशोधित कर दूँगी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2014 at 4:38pm

सार्थक काव्य रचना के लिए बधाई आदरणीया.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 8:25am

आदरणीया कल्पना जी 

भारत देश जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, किस तरह लोभियों नें इसे लूट डाला ....साथ ही पावन नदियाँ , दूध दही की सम्पन्नता, आज सब लुप्त से हो गए हैं, कोयल के माध्यम से भी आपने वन संरक्षण की बहुत ख़ूबसूरत बात कही है 

इस सार्थक प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये 

देश और ऐश की तुकांतता पर आपका ध्यान अवश्य ही चाहूंगी \

सादर 

Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2014 at 9:03pm

आ॰ गिरिराज जी, आशुतोष जी, अखिलेश जी, आशीष जी,आदरणीया राजेश जी, कुंती जी, प्रिय अन्नपूर्णाजी, कल्पना जी,आप सबका प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 1:53pm

बहुत सुंदर कुण्डलिया छंद बधाई आपको आ0 कल्पना दी । 

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:11am

बहुत सुंदर एवं मधुर रचना. कलपनाजी. हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 5:15pm

आदरणीया कलपना जी , तीनो कुंडलिया बहुत अच्छी रचीं है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service