For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं एकलव्य नहीं (लघुकथा)

परीक्षाएं निकट थीं लेकिन टीचर पिछले कई दिनों से क्लास से गायब थे. पढ़ाई का बहुत हर्जा हो रहा था जिसे देखकर उसे बेहद गुस्सा आता. रह रह कर उसके सामने अपनी विधवा बीमार माँ का चेहरा घूम जाता, जो लोगों के घरों में झाड़ू पोछा कर उसे पढ़ा रही थी. आखिर उस से रहा न गया और वह शिकायत लेकर प्रधानाचार्य के पास जा पहुंचा।

 “उस कक्षा में और भी तो विद्यार्थी है, सिर्फ तुम्हें ही शिकायत क्यों है।”
“क्योंकि मैं एकलव्य नहीं हूँ सर।”

(मौलिक और अप्रकाशित)    

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 7:04pm

आदरणीय वंदना तिवारी जी व आदरणीय वंदना जी
लघुकथा पर आपकी सृजनात्मक टिप्पणी हेतु हृदय तल से धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 7:00pm

श्रद्धेय सौरभ भाई,
सादर प्रणाम । आपकी टिप्पणी का बेसब्री से इंतजार था। आपको लघुकथा पसंद आई मेरा प्रयत्न सफल हुआ। आपका आशीर्वाद यदि इसी तरह मिलता रहा तो आगे भी लिखने की कोशिश करता रहूंगा। काश ! जैसे गूढ़ शब्द आप प्रयोग करते है वो मुझे भी प्रयोग करने आ जाए या मुझे सूझ ही जाएं । गुस्ताखी के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:55pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई,
आप स्वयं एक सफल लघुकथाकार है, आप से वाह वाही प्राप्त करना आन्नदमयी है। धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:53pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, अरून शर्मा जी एवं डाॅ. आशुतोष जी,
आपकी सृजनात्मक टिप्पणीयों हेतु हृदय से आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:51pm

आदरणीय गीता वेदिका जी,
आपकी टिप्पणी हेतु धन्यवाद। इस मंच पर आप जैसे गुणीजनों की उत्साहपूर्वक टिप्पणीयां जबरदस्ती और लिखने पर मजबूर करती है। धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:49pm

आदरणीय अन्नापूर्णा वाजपाई जी,
सादर । आप जैसे गुणीजनों से जब स्नेह मिलता है तो रोम-रोम पुलकित हो उठता है मानो लिखना सफल हुआ। धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:47pm

आदरणीय शिज्जु शकूर जी,
लघु कथा पसंद करने पर धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:45pm

आदरणीय डाॅ. गोपाल जी,
आपकी बधाई सिर माथे पर। लघु कथा पसंद करने पर धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:43pm

प्रधान सम्पादक महोदय एवं ज्येष्ठ भ्राता श्री योगराज जी
सादर चरण वंदना ।
आपकी तो केवल एक वाह ही नए रक्त का संचार कर देती है। रचना पसंद करने
के लिए दिल से धन्यवाद, आशा है भविष्य में भी आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा।

Comment by Ravi Prabhakar on December 9, 2013 at 6:40pm

आदरणीय कुंती जी,

सादर प्रणाम

टिप्‍पणी हेतु धन्‍यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service