For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देख तो ले तिलमिला कर ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122         2122

खुश हुआ खुद को भुला कर

या कहूँ मै तुझको पा कर

खुद को भी मै ने सताया 

दोस्ती को आजमा कर

ज़िंदगी का बोझ सर पे

चल रहा हूँ लड़खड़ा कर

मैने सच को सच कहा है

तू गिला से अब मिला कर

दर्द पिघले ,बह के निकले

कुछ तो ऐसा सिलसिला कर

हाथ चाहे तू झटक दे

मैने रक्खा दिल मिलाकर

ग़ैर के आंसू कभी पी

देख तो ले तिलमिला कर

तेरे अन्दर आग है तो

जुगनुओं सा ही जला कर 

ले धनक से रंग तू भी

फूल के जैसे खिला कर

*********************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:29pm

तेरे अन्दर आग है तो

जुगनुओं सा ही जला कर ......वाह! क्या कहने है.

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 9:38pm

आदरणीय आपने बहर को बखूबी साधा है ... छोटे बहर के अपने खतरे होते हैं ,, अभिव्यक्ति को उचित ढंग से संयोजित न् कर सके तो सारी मेहनत पानी हो जाती है ,,, आपकी ग़ज़ल के चंद अशआर इसका शिकार हो गए हैं कुछ अच्छे शेर ग़ज़ल को संभाल ले गए हैं

बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 9:14pm

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी बात समझ गया हूँ , प्रयास इमानदरी से करूंगा , देखिये कहाँ तक सफल होता हूँ !! अभी बह्र को , सोच को , और बह्र के दोषों को एक साथ याद रखते हुये , निबाहने मे थोडी मुश्किल जा रही है !!!!

                     आपने इस योज्ञ समझा इसके लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 8:01pm

भाई अरुन अनन्त जी ने जब बेमिसाल कामयाब की उपमा ही दे डाली तो अब आगे क्या कह सकता हूँ आदरणीय !! .. :-))

वैसे , आपकी सकारात्मक ऊर्जा और आपके गहन अनुभवों को शब्दों में ढला देखना चाहता हूँ अब. विश्वास रखियेगा मेरा.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 6:30pm

आदरणीय अरविन्द भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!! स्नेह बनाये रखें !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 6:28pm

आदरणीय अरुण भाई , आपको गज़ल पसन्द आई , ये मेरे शुभ सूचक है , उत्साह वर्धक है !!!!! आपका हृदय से आभारी हूँ !!!!!

Comment by ARVIND BHATNAGAR on October 17, 2013 at 6:55am

खुश हुआ खुद को भुला कर

या कहूँ मै तुझको पा कर

तेरे अन्दर आग है तो

जुगनुओं सा ही जला कर ........... वाह!!!!!! बहुत ही शानदार गज़ल....... आदरणीय गिरिराज जी...... हृदय से दाद कुबूल करें.|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 16, 2013 at 11:43pm

आदरणीय गिरिराज छोटी बहर की उम्दा गज़ल . प्रत्येक अश'आर में भावों की सहजता मन की गहराइयों में उतर गई, बधाइयाँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 16, 2013 at 10:07pm

आदरणीय सुशील भाई आपके हृदय निकली सराहना मुझ तक सीधे पहुँची , हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 16, 2013 at 10:04pm

आदरणीय बडे भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service