For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोतबर चुप है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     1212    22  

       

जुल्म को देख रहगुज़र चुप है

गाँव सारा नगर नगर चुप है

खामुशी चुप ज़ुबां ज़ुबां है  चुप

दश्त चुप है शज़र शज़र चुप है

दोस्त चुप चाप दुश्मनी भी चुप

सारा आलम बशर बशर चुप है

जिसने देखा वही है दहशत में

इसलिये हर नज़र नज़र चुप है 

ज़ख्म चुप है,बहा लहू भी चुप

बेख़बर चुप ख़बर ख़बर चुप है

चुप है आईन तो दफा भी चुप

दुख यही है कि मोतबर चुप है

     **********

दश्त= जंगल 

आईन= कानून

मोतबर=जिसका एतबार किया हो,विश्वस्त

मौलिक एवँ अप्रकाशित्

( दोष  सुधार के बाद )

Views: 917

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 4, 2013 at 9:01pm

आदरणीय भण्डारी भार्इ जी। बेहतरीन गजल हुर्इ, शानदार..... दाद कुबूल करें।। सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 8:40pm

आदरणीय अनुराग भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!!!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 4, 2013 at 8:31pm

बहुत बहुत बहुत सुन्दर ! लाखो बधाईयाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 8:28pm

आदरणीय रमेश भाई जी , गज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे उत्साह को दोबारा कर रही है , आपका बहुत आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 8:26pm

आदरणीय बड़े भाई कपीश जी , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 8:25pm

आदरणीया मीना जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार !! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 4, 2013 at 7:51pm

यथार्थ के धरातल पर टिके इस गजल के आदरणीय आपको ढेरो बधाई

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 4, 2013 at 7:31pm


           गिरिराज बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखते हो । दुनिया और दुनियावालों की आजकल जो मनःस्थिति है उसका सही वर्णन किया है  तुमने अपने ग़ज़ल " मोतबर चुप है " में ।   । बधाई !!!!

Comment by Meena Pathak on October 4, 2013 at 7:23pm

जिसने देखा वही है दहशत में

इसलिये हर नज़र नज़र चुप है ................बहुत खूब .. बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 6:58pm

आदरणीय गणेश भाई , आपकी पसन्दगी मे गज़ल खरी उतरी ये मेरे लिये हौसला बढ़ाने वाली बात है , सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service