किसने कहा ? आप स्वतंत्र नही हैं
आप तो स्वभाव से स्वतंत्र हैं
और पहले भी थे , सदा से थे ।
जैसे आप स्वतंत्र हैं
हाथ घुमाने के लिये
तब तक , जब तक कि ,
किसी का चेहरा न सामने आये ।
मुश्किल तो यही है
आप रुकना नही चाहते
किसी का चेहरा आने पर भी ।
लेकिन , रुकना तो होगा ही |
क्योंकि, चेहरे के पास से शुरू हो जाती है
किसी और की स्वतंत्रता !!
किसने कहा ? आप स्वतंत्र नही हैं
आप स्वतंत्र हैं
नंगे रहने के लिये
अपने हमाम में,
अपनी नहानी तक , या
बीहड़ जंगलों में,
जंगलो की सीमओं तक ।
मुश्किल तो यही है ,
आप बाहर भी नंगा रहना चाहतें हैं ,
जहां से सामाजिक बंधन की शुरुवात है ,
और शुरुवात है स्वतंत्रता की
उनकी ,जो समाजिक हैं ।
पत्थर लिये तैयार हैं ।
अपनी स्वतंत्रता बचाने के लिये ।
सोचना तो होगा ही !!!
किसने कहा ?आप प्रतिबन्धित हैं
आप स्वतंत्र हैं , आदि काल से
कुछ भी सोचने के लिये,अपने अन्दर
कुछ भी कहने के लिये
अपने आप से ।
कुछ भी लिखने के लिये
अपनी डायरी में ।
मुश्किल तो यही है कि,
आप अभिव्यक्त भी होना चाहते हैं ,
आम लोगों के बीच , समक्ष ,
जहां से शुरू होती है ,
स्वतंत्रता आम लोगों की,
आलोचना की , स्वीकार की , अस्वीकार की स्वतंत्रता
सबके पास , एक एक छन्नी है
छनना तो पड़ेगा ही !
सोचना तो पड़ेगा ही आपको
खुद को बदलना है , या
समाज को !!!!
किसने कहा आप प्रतिबन्धित हैं
आप तो स्वतंत्र हैं , सदा से ,
सदा के लिये !!!!
******************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
श्याम भाई , बहुत बहुत धन्यवाद !!
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
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