For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीछे हट जाने का डर है।

घोर तिमिर है, 
कठिन डगर है, 
आगे का कुछ नहीं सूझता,
पीछे हट जाने का डर है।

मन में इच्छाएं बलशाली 
शोणित में भी वेग प्रबल है,
रोज लड़ रहा हूँ जीवनसे
टूट रहा अब क्यों संबल है

मैंने अपनी राह चुनी है 
दुर्गम, कठिन कंटकों वाली 
जो ऐसी मंजिल तक पहुंचे 
जो लगे मुझे कुछ गौरवशाली

धूल धूसरित रेगिस्तानी हवा के छोंकें 
देते धकेल , आगे बढ़ने से रोकें 
सूखा कंठ, प्राण हैं अटके 
कब पहुंचूंगा निकट भला पनघट के

आगे बढ़ना भी दुष्कर है 
मन में मेरे अगर मगर है 
आगे का कुछ नहीं सूझता,
पीछे हट जाने का डर है।

किन्तु गीता में लिखा हुआ है 
तू फल की चिंता मत करना 
अपना कर्म किये जा राही 
निर्णय तो मुझको है करना

सूरज भी निर्बाध गति से चलता है 
निश्चित ही ये घोर तिमिर छटना है 
और साथ ही छट जाएगी घोर निराशा 
लक्ष्य हांसिल करने की सीढ़ी है आशा

मन में आशा 
और अधरों की प्यास 
इतना निश्चित है 
ले जाएगी मुझे लक्ष्य के पास

घोर तिमिर है, 
कठिन डगर है, 
पीछे मुड़कर नहीं देखना 
पीछे हट जाने का डर है।

"मौलिक व अप्रकाशित"

शब्दकार :  Aditya Kumar 

Views: 866

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aditya Kumar on August 22, 2013 at 5:28pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय   अरुन शर्मा 'अनन्त'  जी . कृपया त्रुटियों से अवगत अवश्य करवाए ताकि मै सुधार सकूँ  ।  आपका हार्दिक आभार  

Comment by Aditya Kumar on August 22, 2013 at 5:26pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय  गीतिका 'वेदिका'  जी . कृपया त्रुटियों से अवगत अवश्य करवाए ताकि मै सुधार सकूँ  

Comment by Aditya Kumar on August 22, 2013 at 5:16pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय Abhinav Arun जी 

Comment by Aditya Kumar on August 22, 2013 at 5:15pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 4:03pm

आदित्य भाई , सुन्दर रचना , सुन्दर भाव , अच्छी रचना !! बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 3:15pm

भीड़ से अलग पहचान की रचना है आ. आदित्य जी बहुत बधाई आपको !

Comment by वेदिका on August 22, 2013 at 2:23pm

खूबसूरत भाव समाये रचना में, लेकिन आदरणीय अरुण जी की बात दोहराउंगी, कुछ पंक्तियों तक कविता प्रभावशाली लगी, फिर एकदम से समझ के बाहर| प्रयास करिये! बधाई !! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 22, 2013 at 12:56pm

आदित्य भाई बेहद सुन्दर प्रयास किया है आपने कुछ पंक्तियाँ बेहद सुन्दर बन पड़ी हैं, आदरणीय केवल भाई जी से मैं भी सहमत कंटक त्रुटियों के साथ साथ प्रवाह भी बाधित लग रहा है कृपया देख लें. बहरहाल इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 9:44pm

आ0 आदित्य भाई जी,      सूबसूरत रचना, लेकिन कहीं कही टंकण त्रुटि है।कृपया देंख लें।   आपको हृदयतल से बधाई।  सादर,

Comment by Aditya Kumar on August 21, 2013 at 7:09pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय  जितेन्द्र 'गीत' जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service