वजहों के बोझों तले क्यों , बेवजह है ज़िन्दगी |
जीने वालों के लिए , जैसे सज़ा है ज़िन्दगी |
साँसों के संग ही चल रही साँसों के संग थम जायेगी ,
आती जाती सांसो का एक सिलसिला है ज़िन्दगी |
हमने बनाये जो यहाँ खो जायेंगे वो सब मकाँ
जिसकी मंजिल मौत है वो रास्ता है ज़िन्दगी |
हम जी रहे हैं आज में और सोचते कल की सदा ,
इस जगह को छोड़कर क्यों उस जगह है ज़िन्दगी |
ये दिल हमारा है मगर यहाँ ख्याल है किसी और का ,
दूसरों से मिल रही खुद से जुदा है ज़िन्दगी |
आदमी अपने ही संग आज जी सकता नही ,
खुद से जाने इस कदर क्यों खफा है ज़िन्दगी ।
हम अँधेरे को समझ बैठे थे अपना आशियाँ ,
तुम मिले तो लग रहा जैसे सुबह है ज़िन्दगी ।
Comment
Bahot khoob..........
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