!!! हे मां !!!
मां अर्थात् गुरू !
गुः - गुप अंधेरा, गहन तिमिर।
रूः - प्रकाशमय, अतिशय उजियारा।
अर्थात् तमसो मा जोतिर्गमय!
अंधकार से प्रकाश की ओर प्रेरित करने वाली
जननी! मां!
अनादि काल से
सब कुछ सहती आ रही है।
हां! प्रसव पीड़ा के सम
नवजात के जन्म सरीखा ही।
नरक में उलटे टंगे को
स्वर्ग में सीधे पैरों पर खड़ा करने तक,
अन्धकार-अज्ञान को
प्रकाशवान-ज्ञानमय '
बनाने के लिए उद्वेलित करती
निरन्तर अथक प्रयासरत है।
हां! यही जननी -
हमारी मां है!!!
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
ek ek line mane mein jioty gagane wally . ati sundar ./ sadar / kuntee .
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