For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुर्मिल सवैया छंद

नहि भेद लिखे कछु वेद कवी सब गाल बजावत मंचहि पे
निज वेशहि की परवाह करें बस ध्यान धरें धन संचहि पे
अब ब्रम्ह बने सूतहि जब है सब ज्ञान बखान विरंचहि पे
कलि कौतुक देख हसे सुर है गुरु बैठत है अब बेंचहि पे

कलिकाल धरा विकराल बढ़ा सुत मातु पिता नहि मानत है
धन की महिमा सब ओर सखे धनही सबका पहिचानत है
घर की नहि नारिहि मान करे ललचाय पराय अमानत है
सनदोह सहोदर मोह नही अब दारहि का सब जानत है


चिदानन्द शुक्ल "सनदोह"

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on November 19, 2012 at 10:01am

बहुत बढ़िया |
आभार आदरणीय ||

Comment by seema agrawal on October 25, 2012 at 11:13am

जी सौरभ जी  पढ़ा तो था पर उस समय बात स्पष्ट नहीं हो सकी थी इसलिए पुनः प्रश्न किया था ........ खैर निवेदन क्षमा सहित था इसलिए बच गयी 

अब चिदानंद जी निश्चित करेंगे  क्या उचित है (मैं क्यों डांट खाऊँ )


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2012 at 10:53am

इसी लहजे में शब्दों की अक्सर आखिरी दीर्घ मात्राओं का ह्रस्व होना यानि गुरु का लघु मान लिया जाना चलता है. लेकिन इसीका विलोम दिक्कत का कारण बन जाता है, जिस पर सीमाजी ने प्रश्न किया है. मैं चिदानन्द जी के छंद में इस कवि को कवी रूप में देखा था. लेकिन आगे स्पष्ट होगा सोच कर आगे निकल गया था.  -- विश्वास है, आपने मेरे इस कहे को पढ़ा है, सीमाजी !

सादर

Comment by seema agrawal on October 25, 2012 at 10:43am

क्षमा सहित निवेदन  करूंगी सौरभ जी यहाँ कवी  न तो आंचलिक  रूप में प्रयुक्त हुआ है और न ही यह अव्यय है ..सिर्फ मात्राओं कि गिनती पूरी करने के लिए कवि को कवी कह कर बात निपटा दी गयी है .......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2012 at 10:11am

//यहाँ पर कवी शब्द का जो प्रयोग किया है वह मात्रा गणना कि जरूरत है //

ऐसा करना छांदसिक रचनाओं, विशेष कर वर्ण आवृति वाली रचनाओं, की ऐसी विवशता है जिससे पार पाने का प्रयास होना ही चाहिये. लेकिन खड़ी हिन्दी के शब्दों की अव्ययी प्रकृति के कारण ऐसा अक्सर नहीं हो पाता. यही कारण है कि सवैया जैसे छंदों में आंचलिक शब्दों या प्रारूप शब्दों का विशद प्रयोग होता है. इसी लहजे में शब्दों की अक्सर आखिरी दीर्घ मात्राओं का ह्रस्व होना यानि गुरु का लघु मान लिया जाना चलता है.  लेकिन इसीका विलोम दिक्कत का कारण बन जाता है, जिस पर सीमाजी ने प्रश्न किया है. मैं चिदानन्द जी के छंद में इस कवि को कवी रूप में देखा था. लेकिन आगे स्पष्ट होगा सोच कर आगे निकल गया था.  इसी तरह, कारक की विभक्तियों के एकवर्णी स्वरूपों का लघु मान लिया जाना इसी संदर्भ में स्वीकार्य हुआ करता है. यथा, ने, का, की, को, पे, में आदि को आवश्यकता होने पर लघु रूप में गिना जाना.

हालाँकि ऐसा कहना किसी शाब्दिक अनगढ़पन को मेरा अनुमोदन कत्तई नहीं है.

सधन्यवाद

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 25, 2012 at 9:44am

बहुत सुन्दर अभ्व्यक्ति के दुर्मिल सवैया छंदों का प्रतुतिकरण, हार्दिक बधाई | विजय दशमी दिवस की भी हार्दिक शुभ कामनाए 

Comment by Chidanand Shukla on October 25, 2012 at 9:31am

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Chidanand Shukla on October 25, 2012 at 9:31am

आदरणीय बागी जी बहुत बहुत आभार रचना कि प्रसंशा के लिए और आप को विजया दशमी कि हार्दिक शुभ कामनाएं 

 

Comment by Chidanand Shukla on October 25, 2012 at 9:30am

आदरणीया सीमा अग्रवाल जी यहाँ पर कवी शब्द का जो प्रयोग किया है वह मात्रा गणना कि जरूरत है बहुत बहुत आभार और जहां तक सौरभ पाण्डेय जी कि बात है वह मैंने गौर किया और सुधर के साथ पुनः प्रस्तुत किया है कमेन्ट के रूप में 

 

Comment by seema agrawal on October 24, 2012 at 10:02pm

आपकी छंद प्रस्तुतियां अधिकांशतः निर्दोष ही रहती हैं ऐसा मेरा अनुभव रहा है पर चिदानंद जी सौरभ जी की निगाह से कुछ भी गलत छूट नहीं सकता वो शुद्ध हो कर ही आगे बढ़ता है 
एक आग्रह और कवी या कवि ?
बहुत सुन्दर और सटीक भाव व्यक्त किये हैं आपने आज की  दशा के सन्दर्भ में ......
हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service