For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसासों के दरमियां 
मेरे ख़्वाबों को जगाने 
जब तुम आओगे ना 
कुछ शरामऊँगी मैं 
धडकनों को थामकर 
कुछ बहक सा जाऊँगी मैं 
मुझे बहकाने तुम आओगे ना ????

इठलाती सी धूप में 
रूख पर नक़ाब गिराने 

जब तुम आओगे ना 
तेज़ किरणें शरमा जायेंगी 
तुम्हारे अक्स के आ जाने से 
मेरी परछाई को ख़ुद में 
समाने तुम आओगे ना ????

अकेलेपन में भींगी आँखों 
के आंसूओं को पोंछने 
जब तुम आओगे ना 
एक मुस्कान खिल जायेगी 
कुछ किस्से सुनने 
भटकती इस ज़िंदगी में 
मुझे अपना बनाने 
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????

दो नहीं एक ही है हम 
इस हौसले को बढ़ाने 
जब तुम आओगे ना 
चाँद की चाँदनी तेज़ हो 
अपना तेज़ फैलायेगी 
उसकी रौशनी मुझ तक 
आकर तेरा अहसास करायेगी 
अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ????

कह दो एक बार 
तुम आओगे ना ????
तुम आओगे !!!!!

दीप्ति शर्मा

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on August 28, 2012 at 4:38pm

अकेलेपन में भींगी आँखों 
के आंसूओं को पोंछने 
जब तुम आओगे ना 
एक मुस्कान खिल जायेगी 
कुछ किस्से सुनने 
भटकती इस ज़िंदगी में 
मुझे अपना बनाने 
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????

स्वाभाविक से किन्तु कितने गहरे शब्द हैं आपके ! बहुत सुन्दर

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 28, 2012 at 12:47pm

sundar shabd jaal.....wonderful

Comment by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 12:36pm

दो नहीं एक ही है हम 
इस हौसले को बढ़ाने  जब तुम आओगे ना 
चाँद की चाँदनी तेज़ हो 
अपना तेज़ फैलायेगी 
उसकी रौशनी मुझ तक 
आकर तेरा अहसास करायेगी 
अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ?   ------बहुत शानदार----बहुत बहुत बधाई.....Deepti

Comment by श्रीराम on August 28, 2012 at 8:16am

 बहुत बहुत बधाई.....

Comment by Harish Bhatt on August 28, 2012 at 2:45am

बहुत शानदार, बस यूं ही लिखती रहिए बेहतर और बेहतर, बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service