For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(ओ.बी.ओ. का अपना बैज है. ये रचना ओ.बी.ओ. गीत हेतु तैयार की है.)

भटकता फिर रहा था न जाने कब से भीड़ में एक आस लिए 

मुट्ठी  भर  पा  जाऊं धरा औ  ज्ञान की एक  बूँद  का विश्वास  लिए 

मिली जानकारी जब  कि ओ.बी.ओ. एक ऐसा आधार है 

गुनी जनों के सानिध्य मिले तो अवश्य तेरा बेडा पार है

गजल  छन्द  और  कई  भाषाओँ   के हैं  विधान  यहाँ  ,

कहानी  और  कविता  का  मिलता  है ऐसा  ज्ञान कहाँ   

नए  पुराने  और  धर्म जाति का  न  कोई  भेद  यहाँ 

वो जगह बताएं  मिलता हो सबको  ऐसा  सम्मान  कहाँ  

ओ.बी.ओ. परिवार से पाया इतना  स्नेह और प्यार है 

न जाऊं कहीं और अब में   बैरागी मन हो गया रागी   

प्रीतम और  रवि  के अनोखे प्यार का  रोपा ये  पौधा है 

कामना खिला रहे  उपवन  सदा स्थापना  हेतु  बधाई  बागी 

आओ  सब  मिल  कर  अलख  जगाये  हम  

साहित्य  स्नेह  की  पावन गंगा  बहायें  हम  

कई भाषाओँ  और विधा में पारंगत गुरु विद्या दान करें 

माँ भारती , सरस्वती संग ओ.बी.ओ. का गुण गान करें. 

जय ओ.बी.ओ., जय हिंद , वन्दे मातरम् 

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:03pm

धन्यवाद समर्थन हेतु, आदरणीय उमा शंकर जी. सादर 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 31, 2012 at 10:22pm

बिलकुल सही

हमारा भी समर्थन है आपके साथ... कुशवाहा जी

जय ओ.बी.ओ.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 6, 2012 at 9:24pm

स्नेही अश्विनी, जी सादर,  भाव प्रकट किये. शिल्प नहीं आता.  ओ.बी.ओ. गीत भी देख लीजिये , इसी के ऊपर है. मेरा उत्साह बढेगा. धन्यवाद. 

Comment by अश्विनी कुमार on April 5, 2012 at 11:35pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर अभिवादन ,,

गजल  छन्द  और  कई  भाषाओँ   के हैं  विधान  यहाँ  ,

कहानी  और  कविता  का  मिलता  है ऐसा  ज्ञान कहाँ  ,,,......सादर आपकी रचनाएँ खुद समग्रता की प्रतीक होती हैं अति सुंदर और सार्थक मंच के प्रति आपका हार्दिक उद्गार आपकी प्रतिबद्धता को उजागर कर रहा है  ......जय भारत

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2012 at 3:27pm

स्नेही वाहिद  जी, सादर 

आपने सराहा, प्रेरित हुआ. धन्यवाद,
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2012 at 2:32pm

बढ़िया प्रयास आदरणीय प्रदीप जी!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2012 at 12:05pm

SNEHI MINU JI, PRASANN RAHEN, SUNDAR SUNDAR RACHNA BHEJEN. DHANYVAD.

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 11:40am

बहुत सुंदर कुशवाहा जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2012 at 10:57am

AADARNIYA, SINGH SAHAB JI. SADAR ABHIVADAN.

मुझे नहीं लगता कि अन्यथा कुछ लिख कर आपका सम्मान करें!

जय ओ.बी.ओ., जय हिंद , वन्दे मातरम् 
SIR JI VICHAR THAY PRAKAT KAR DIYE. AAPNE SARAHA, PROTSAHIT KIYA. AUR KYA CHAIYE. ABHARI HOON AAPKA. 
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 5, 2012 at 7:16am

आओ  सब  मिल  कर  अलख  जगाये  हम  

साहित्य  स्नेह  की  पावन गंगा  बहायें  हम  

कई भाषाओँ  और विधा में पारंगत गुरु विद्या दान करें 

माँ भारती , सरस्वती संग ओ.बी.ओ. का गुण गान करें. 

जय ओ.बी.ओ., जय हिंद , वन्दे मातरम् 

आदरणीय कुशवाहा जी, सादर अभिवादन! मुझे नहीं लगता कि अन्यथा कुछ लिख कर आपका सम्मान करें!
जय ओ.बी.ओ., जय हिंद , वन्दे मातरम् 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service