Comment
मेरा प्रयास रहता है कि मध्य मार्ग अपनाते हुए बिगड़े हुए को दुरुस्त करने का एक प्रयास किया जाए | आखिर सब कुछ छोड़ कर मात्र मूक दर्शक भी तो बनते नहीं बनता | रोज़ी की शुरुआत अखबारनवीस के तौर पर की थी .... आदत अभी तलक गयी नहीं :-))
//सब माया है //
हा हा हा.. .. भाई अभिनव जी, किन्तु, इन संदर्भों में ये माया मात्र नहीं, बल्कि, लिहाज है, जो आजकल न देने वालों में बचा है, न लेने वाले अधिकांश में रह गया है. सब बाज़ार संचालित हैं. ....
आपकी रिपोर्ट एकदम से निर्पेक्ष है. बधाइयाँ
जी बाज़ार सापेक्ष और मूल्य सापेक्ष होने में कुछ तो फर्क होता ही है .. निर्णय हम को स्वयं करना है | हम चाहते क्या है | सब माया है आदरणीय सौरभ जी न छोड़ते बनता है न पकड़ते ...:-)) संतत्व सबके भाग में कहाँ ..
पेशगी की बंदरबाँट या मंच पर ही सोमरस, स्टील के गिलासों में .. . जी, सही कहा आपने. .. :-)))
तभी कह रहा हूँ न, हल्की मुट्ठियो में इज़्ज़त ले कर चलने वालों से जिसको देखो इज़्ज़त छोरता मिलता है .. .
बस एक मंज़र था .. आदरणीय श्री सौरभ जी जिसे साझा कर लिया | श्यामल जी का कहना था कि कविता ग़ज़ल के साथ ओ बी ओ पर एनी विधाओं में भी लेखन को गति दी जानी चाहिए सो इसी का एक उपक्रम | वैसे यह आज का साहित्यिक सच भी है | सुहाने मुशायरों के बाद पिछले पहर पैसे को लेकर झगड़ते रचनाकारों का सच | मंच पर स्टील के गिलासों में मदिरा का सच जिसे इस अंदाज़ से ग्रहण किया कराया जाता है जैसे चाय हो ... :-))
क्या कहूँ इस पर, अभिनव जी..!? .. क्या कहूँ कुछ कहा नहीं जाये, बिन कहे भी रहा नहीं जाये. अपने ज़मीर और अपने लिहाज को बचाने की पहल स्वयं करनी होती है.
सबकी इज़्ज़त अपनी-अपनी मुट्ठियों में होती है. यदि रचनाकार अपनी इज़्ज़त हल्के बँधी मुट्ठियों में लेकर चलेंगे तो क्रूर और असंवेदनशील जमात बलात् इज़्ज़त छीन नहीं लेगी ? यही कुछ तो हो रहा है .. यही कुछ दीख रहा है..
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online