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Sarthak's Blog – June 2018 Archive (1)

ग़ज़ल

तन्हा तन्हा रहता हूँ,
मैं भी साये जैसा हूँ।

खाली मौसम होता है,
तुम बिन जब मैं होता हूँ।

मैंने तुमको अपना माना
मैं भी देखो कैसा हूँ।

उसकी आंखें बादल है
मैं भी भीगे रहता हूँ।

चुपके से सुन लेना तुम
जो भी तुमसे कहता हूँ।

जाने वालों जाओ तुम
अब थोड़ी मैं रोता हूँ।

अपनी सूखी आंखों में
अब भी सपने बोता हूँ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sarthak on June 22, 2018 at 11:19pm — 7 Comments

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