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भोजपुरी साहित्य Discussions (244)

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राखी आइल चल गईल ,

राखी आइल चल गईल , कही मस्ती छा गईल , चलल खूब मिठाई , बहिन भाईयन के , कलाई पर बांधली !! कहीं इ ख़ुशी दे गईल , आउर कही गम के गुबार, देकर चल…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

neta ho gail bate

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 18, 2010
Reply by आशीष यादव

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा , हरिहर चुरी हरिहर साडी बलम इहो सावन बा , नहीं बोलब हम साडी ला द बलम बड कारन बा , चुरी का पहिनी हमू बलम…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

हम चाही ले करे के प्यार

हम चाही ले करे के प्यार गोरी हमरो जगहिया बता द , बता द हमारो जगहिया बता द , कहा से करी सुरु कहवा ख़तम एतना त हमके बता द , बता द हमारो जगहिय…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अंचरवा ओढ़ा देहीं

आजा- आजा राजा करेजा से लगा लेहीं. आव पंजरवा अंचरवा ओढ़ा देहीं. आजा-आजा --------------------------------- चोरवा बनल आज सगरी नगरिया. कईसे बचा…

Started by satish mapatpuri

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

आइल कवन ज़माना

केसे पूछीं के बतलाई आइल कवन ज़माना, हौले-हौले मरदा बोले डांट के बोले जनाना. बाल कटाके लट बिखराके झट से गोरी पैंट चढ़ावे, काला चश्मा नाक के ऊ…

Started by satish mapatpuri

2 Aug 5, 2010
Reply by Neelam Upadhyaya

ननदी के भईया ना आइल

केसिया सँवरलि - हम रुपवा सजवलीं . गजरा लगवलीं - हाथे मेंहदी रचवलीं. धानी चुनर लहराइल- बाकिर, ननदी के भईया ना आइल. अंखिया से दूर भागे रतिया…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

बिहार में

आजा घुमाईं देहीं, तोहके बधार में. लेल s लेल राजा, जवानी उधार में. सोना जस रंग हमार, चानी जस बदनवा. पतरी कमर हम्मर, बरछी जस नयनवा. चार सौ चा…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

की तोहसे प्यार करी ले तोहरे से प्यार करीले ,

f मनवा में त चाह बा हमारो तोहरा के अपनाई, इ जनम का सातों जनमवा तोहरे पे लुटाई , की तोहसे प्यार करी ले तोहरे से प्यार करीले , m तोहरे खातिर…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Jul 30, 2010
Reply by satish mapatpuri

मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी ग़ज़ल (गनेश जी बागी)

गुड़ खूब खाले ख़ाली, गुल्गुल्ला से परहेज बा, आपने म्यान काटे, राउर तलवार बड़ी तेज बा , गाय के रखवारी देखी ,करत बा कसाई, पाई मोका करी हलाल,…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

13 Jul 30, 2010
Reply by satish mapatpuri

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"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
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"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
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"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
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