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हमारा दरवाजा पर दस्तक भइल ,
हम अंदरे से पूछनी ,
राउआ के बानी ,
उत्तर मिलाल ,
सुख संब्रिधि ,
झट से दरवाजा खोलानी ,
अन्दर आई उनकर से बोलानी ,
उनका जबाब रहे ,
हम हमेशा से उनके संगे रहेनी ,
जे प्यार से मिल के रहेला ,
जहाव मेल मिलाप रही ,
उहा हम दस्तक देत रहेम ,

एक दिन घर में हो गइल ,
आपसे में झगरा ,
बिना मतलब के ,
बात बढ़ल ,
अब केहू कवनो काम में ,
केहू के बिचार के लेन देन नइखे करत ,
अब घर में बिपति के रूप में ,
कलह जकर लेले बा ,
अब सुख संब्रिधि ना आवे ,
दस्तक देबे खातिर ,
बिपति के राज हो गइल बा घर में ,
भाई लोग मिल के रहा लोग ,
बिपति ना संब्रिधि के बुलावा लोग ,

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Replies to This Discussion

भाई लोग मिल के रहा लोग ,
बिपति ना संब्रिधि के बुलावा लोग
एकदम ठीक कहनी रवि जी । घर में सुख समृद्धि बनल रहे, एकरा खातिर बहुत जरूरी बा कि घर में रहे वाला सब केहू मिल जुल के शांति आ प्रेम से रहे । बहुत बढ़िया ।

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