प्यारे! बादल क्यों रोते हो?
प्यारे! बादल क्यों रोते हो? आसूं से धरा भिगोते हो।
तुमको मौसम तनिक न भाया, देखो कितना तोय बहाया।।
डूबे खेत-बाग-वन नारे, डूब रहें है जीवन सारे,।।
भीग रही हूं देखो मैं भी, संग ताल सागर भावी।।
नहीं, नहीं मैं कभी न रोता, हंसता खूब लगाकर गोता।
अपने खुशियों के आंसू से, तपी भूमि की प्यास बुझाता।।
देखो! तरू सब झूम रहे हैं, हरे धान लहलहा रहे हैं।
बाग-उपवन सब खिल उठे हैं, दादुर-मोर अलाप रहैं हैं।।
बड़े जोर से बिजली हंसती, जीवन को दृढ़ बनाती फिरती।
अपने अद्भुत चमत्कार से, छन भर को रोशन कर जाती।।
बच्चों! तुम भी जग में चमको, चांद-सितारों से तुम दमको।
सूर्य तुम्हारा गुन गायेगा, पाप - दोष सब मिट जायेगा।।
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
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बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको! |
आ0 वंदना जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर
shuruat se ant behtar ha aur ant bhala to -----------------
आ0 नारायण जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर
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