For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की ‘साहित्य –संध्या’ माह फरवरी 2016 की संक्षिप्त रिपोर्ट

ओ बी ओ  लखनऊ चैप्टर की  ‘साहित्य –संध्या’ माह फरवरी 2016 की संक्षिप्त रिपोर्ट

– डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

 

फगुनहटी बयार अंगड़ाईयां ले रही थी. रसिकों के हृदय से कविता विटपों के पत्ते सी झरती हुयी पतझड़ के मौसम को स्वीकृति देने लगी थी. वृद्ध वीरुध तक बेशर्म होकर पल्लव का परिधान उतार कर फेंक रहे थे. शृंगार की ऐसी सृष्टि में डा0 सुभाषचन्द्र ‘गुरुदेव’ के आवास पर ओपन बुक्स ऑनलाइन के लखनऊ चैप्टर की ‘साहित्य संध्या’ में रविवार 28 फरवरी  2016 को कविता की ऐसी मंदाकिनी प्रवाहित हुयी जिसने मृतप्राय प्राणों का तारण कर उन्हें नया संजीवन दिया. डा0  शरदिंदु मुकर्जी ने नवागंतुकों को ओ बी ओ का परिचय देते हुए कार्यक्रम का सूत्रपात किया और डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव को कार्यक्रम का अध्यक्ष पद अलंकृत करने तथा मनोज कुमार शुक्ल 'मनुज' को संचालन करने के लिए आमंत्रित किया I संचालन का आगाज मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज ‘ ने माँ शारदा की भावपूर्ण स्तुति से किया I  

 

प्रथम काव्य-पाठ के लिए गोष्ठी में पहली बार आए युवा रचनाकार विशाल गुप्ता ‘आज़ाद‘ को आमंत्रित किया गया. उनकी रचना में व्यवस्था के प्रति गंभीर व्यंग्य दिखता है. परिस्थितियां ऐसी हैं कि खत भेजने के लिए अपारम्परिक ‘फ़ाख़्ता’ का सहांरा लेना पड़ता है .

ऐ फ़ाख़्ता ! तू मेरा ख़त ले जा

इन सियासी सफेदपोशों ने मेरे कबूतर को मार डाला

उनकी एक और कविता की इन पंक्तियों को विशेष सराहना मिली –

ऐ बेइंतहा दौड़ने वालों

हम भी अनमोल हैं

मिलोगे एक दिन तुम भी यहीं पर

क्योंकि

लोग कहते हैं पृथ्वी गोल है.

 

हिन्दी साप्ताहिक ‘विश्व विधायक‘ के सम्पादक  मृत्युंजय प्रसाद गुप्त ने फागुन के मौसम में भक्ति-रस की कविताओं का मधुर कंठ से पाठ कर सबका मन मोह लिया –

हे प्रेममय प्रभु ! ऐसी दया हो,  जीवन निरर्थक जाने न पाये .

जब तक अविद्या अज्ञान में हम, कुछ बन न सकता मेरे बनाये

 

अवध के प्रसिद्ध ‘बैसवारा’ अंचल से पधारे  सम्पति कुमार मिश्र “भ्रमर बैसवारी’ ने राष्ट्रीयता और देश भक्ति की अलख जगाते हुए अपना गीत इस प्रकार पढ़ा –

आशा के तरुण तपोवन में हो तुम्ही देश की परम भक्ति

हो तुम्ही लखन हो तुम्ही भरत हे युवा शक्ति ! हे युवा शक्ति !

 

सुश्री कुंती मुकर्जी ने अपनी फ्रेंच कविताओं का हिंदी में स्वयं अनुवाद किया है. कुछ गहन पंक्तियाँ देखिए –

मन वही करता है

जो वह चाहता है

किसी भी बात का

वह तर्क नहीं मानता

.......

जड़ से बँधे रिश्ते

तिनका-तिनका पनपता तन

फूल से खिलते जज़्बात

मकरंद से महकते मन को

कब छू पाए हैं

वक़्त के गुजरते साये

 

फेसबुक की चर्चित और शहर की प्रख्यात कवयित्री संध्या सिंह ने अपनी भावपूर्ण कविता के माध्यम से मानो अपना ही परिचय दिया. उनकी यायावरी को निम्न पंक्तियों से बखूबी समझा जा सकता है –

सर पर सूरज के अंगारे पांव तले धरती के कंकर

सदियों-सदियों दुर्गम रस्ते जन्मों-जन्मों हम यायावर

 

केवल प्रसाद ‘सत्यम’ ने कई सुन्दर दोहे सुनाये I सूर्य के विभिन्न रूपों को उन्होने निम्न दोहे में परिभाषित करने का प्रयास किया  –

सुबह धरा को चूमता, मध्यकाल का ईश 

संध्यावंदन सिन्धु से करे झुकाकर शीश

 

डॉ शरदिंदु मुकर्जी ने अपनी नवीनतम रचना “बगावत” का पाठ किया जिसमें साहित्य, राजनीति, समाज का मिश्रित सामयिक चित्रण है.

बगावत की है क़लम ने

उसे भी अब आरक्षण चाहिये –

कुछ भी लिख दे

पुस्तकाकार में छपना चाहिये......

कविता के अंत में आश्वस्त करते हुए वे कहते हैं –

लेकिन आप सब निश्चिंत रहें

मैंने अपनी क़लम को समझा दिया है

ऐसे भिखमंगे की तरह

हाथ मत फैलाया करो

तुम्हें

मुझसे कोई आरक्षण नहीं मिलेगा

 

वरिष्ठ कवि हरि किशन गुप्ता ने अपनी कविता में स्वदेश के प्रति निज अनुराग का परिचय दिया -

विश्व-विजय हो जय हो भारत  हर लेता जन –जन की आरत

जय हो देश हमारा !

 

संचालक मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज’ की कविता में रहस्यवादी चिंता की झलक दिखी जहाँ अपने ही समान उन्हें सारा संसार भ्रमित दीखता है –

चिंतन सोया, बुद्धि अचंभित पागल मन कुछ कुछ घबराया

मैंने जीवन पृष्ठ टटोले कुछ अतीत के पन्ने खोले

फिर भी समझ न कुछ भी आया लगता पूरा जग भरमाया

 

डा0 सुभाष चन्द्र ‘गुरुदेव ‘ ने अपनी कविता में सामाजिक व्यंग्य को अधिकाधिक मुखर किया –

जहाँ-जहाँ भी मैं जाता हूँ, सभी जगह पर रिश्ते हैं

पहले मैं उनको घिसता था अब वे मुझको घिसते हैं

 

कार्यक्रम के अंत  में डा0  गोपाल नारायन श्रीवास्तव  ने  ‘पाषाण होने तक’ कविता में अतुकांत शैली में एक कृतज्ञ बेटी का संस्मरण सुनाया जिसका पथ प्रशस्त करने के लिए पिता को पाषाण भी बनना पड़ा. दूसरी कविता ‘अनुराग’ ‘वंशस्थ विलं’ छंद में रची गयी थी. इसकी एक बानगी इस प्रकार है –

वियोग में भी हिय की समीपता नितांत तोषी मनसा समर्पिता

जहाँ  शुभांगी  पुरुषार्थ  रक्षिता  वहां सदा है अनुराग राजता

 

सभा विसर्जित होने के पहले डॉ सुभाष गुरुदेव ने औपचारिक धन्यवाद देते हुए उनपर इस आयोजन का दायित्व देने के लिए ओ.बी.ओ.लखनऊ चैप्टर का आभार व्यक्त किया. इस आश्वासन के साथ कि हम अगले महीने फिर एकत्रित होकर अपनी रचनाओं के माध्यम से इसी प्रकार आत्मीय वार्तालाप करेंगे, हमने एक दूसरे से विदा ली.

  

 

 

     

Views: 813

Reply to This

Replies to This Discussion

बगावत की है क़लम ने

उसे भी अब आरक्षण चाहिये –

कुछ भी लिख दे

पुस्तकाकार में छपना चाहिये......

xxx     xxx     xxx

लेकिन आप सब निश्चिंत रहें

मैंने अपनी क़लम को समझा दिया है

ऐसे भिखमंगे की तरह

हाथ मत फैलाया करो

तुम्हें

मुझसे कोई आरक्षण नहीं मिलेगा

 

आदरणीय शरदिन्दुजी, मैं लखनऊ की उक्त गोष्ठी की गंगा नहा आया ! कमाल कमाल !

जिस मंच की गोष्ठियों की प्रस्तुतियों में तार्किकता हो वह मंच अपने उद्येश्य में सफल है. बिम्ब की सनातनता पर कोई चोट न करते हुए भी प्रस्तुत हुई रचनाओं के बिम्बों में नवता आजके साहित्य को प्रासंगिक रखेगा.साहित्य जन से जुड़ा अगर है, तो उसका कारण सार्थक और प्रासंगिक बिम्ब ही तो हैं. 

सफल गोष्ठी के सम्पन्न होने पर हार्दिक शुभकामनाएँ तथा नये सदस्य भाई विशाल गुप्ता ’आज़ाद’ को अशेष बधाइयाँ 

आदरणीय सौरभ जी, आपकी यह एक प्रतिक्रिया लखनऊ चैप्टर का जो उत्साहवर्धन कर सकती है उसके आगे सम्मिलित नीरवता का शक्तिहीन हो जाना आश्चर्य नहीं. आपने युवा कवि "आज़ाद" जी को विशेष रूप से बधाई देकर इस चैप्टर का मान बढ़ाया है और ओ.बी.ओ.प्रबंधन टीम के साथ "चैप्टर" के सेतुबंधन का गुरुदायित्व भी निभाया है. इसके लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे.
व्यक्तिगत स्तर पर, आपने मेरी प्रस्तुति की पंक्तियों को उद्धृत कर मेरा हौसला बढ़ाया. आपका मैं ऋणी हूँ. आप यदि पूरी रचना पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दें तो मुझे कुछ सीखने को मिलेगा. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service