क़लम कोमा मे आ गयी है मेरी,
ब्रेनस्ट्रोक ज़बरदस्त लगा है इसको,
रगों मे दौड़ती स्याही पे बड़ा प्रेशर है,
क्या लिखे, क्या ना लिखे, कितना चले, कैसे चले,
सुना था तेज़ चलेगी ये तलवार से भी,
इस दफ़ा खुद ही कट के रह गयी ज़ुबान इसकी,…
Added by Sarita Sinha on March 5, 2013 at 4:30pm — 3 Comments
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