किसी को कुछ नहीं होता
तोता पंखी किरणों में
घिर कर
गिर कर
फिर से उठ कर
जो दिवाकर से दृष्ष्टि मिलाई
तो पलक को स्थिती समझ नहीं आयी
ऐसा ही होता है प्राय
मन ही खोता है प्राय
बाकी किसी को कुछ नहीं होता
किसी को भी
प्रचंड की आँख में झांकना
कोई दृष्टता है क्या
केवल मन उठता है
प्रश्न प्रश्न उठाता है
लावे की लावे से
मुलाकात…
Added by amita tiwari on February 29, 2020 at 1:30am — 2 Comments
Added by amita tiwari on February 15, 2020 at 7:30pm — 5 Comments
Added by amita tiwari on February 9, 2020 at 9:00am — 2 Comments
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