For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

hemant sharma
Share on Facebook MySpace
 

hemant sharma's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
ashoknagar mp
Native Place
ashoknagar
Profession
TRAINEE OFFICER IN SBI
About me
SIMPLE

Hemant sharma's Blog

बापू

सन अड़तालीस की तीस जनवरी के दिन

नहीं मरे थे तुम

बापू



तुम एक गोली से

मर भी नहीं सकते थे

तुम्हारे जर्जर हो चुके शरीर को

सिर्फ भेद पाई थी

वह गोली

चंद सूखी लकड़ियों से भी

नहीं जल सकते थे तुम

बापू

 

तुम्हारी चिता जला पाई थी

सिर्फ तुम्हारे अचेत शरीर को

 तुम्हे कंधा देने

उमड़ पड़ा था पूरा देश

आज भी बदस्तूर जारी है

तुम्हें कंधा देना

बापू

 

आज भी हर घर…

Continue

Posted on December 7, 2013 at 12:00am — 9 Comments

शरीफों कि वस्ती

ये दीवारें बहुत ऊंची और चौड़ी हैं

कि कोई तांक झांक न कर सके

लेकिन यहां एक खिड़की है

शोर मत करो,ये शरीफों कि वस्ती है

एक औरत जो घूंघट ओड़कर आती है

और घूंघट ओड़कर चली जाती है

एक मोटर इस वस्ती से निकलकर

एक दूसरी वस्ती में जाती है हर रोज

शोर मत करो, ये शरीफों कि वस्ती है

उसके  कपड़ॆ बहुत उजले हैं

और महीन भी बहुत हैं

नजदीक न जाओ मैले हो सकते हैं

और महीन रेशों के बीच से

परावर्तित किरणें तुम्हरी आंखों…

Continue

Posted on December 2, 2013 at 11:00pm — 8 Comments

माटी - दोहे

गली,कटी, तपकर खिली, माटी की संतान

माटी से मोती बने,          माटी से इंसान

 

माटी से मूरत बने,       मूरत में भगवान

माटी की भक्ति करे,      तर जाये इंसान

 

माटी से उपजें सभी,     माटी में ही   अंत

माटी का घर छोड़ के,   जाये सभी अनंत

 

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on September 27, 2013 at 12:00am — 11 Comments

रास्ते

 

प्रश्न होते हैं ,उत्तर भी होते हैं रास्ते ,

पूर्व-पश्चिम और दक्षिण

सभी दिशाओं मे होते हैं रस्ते

कभी घोड़ों की टापों से कुचले जाते हैं

तो कभी फूलों से सजाये जाते हैं रास्ते

क्या जमीं कया समुंदर आशमां मे भी होते हैं रास्ते

तो क्या मंजिले नसीब नहीं होती सभी को,

पर होते हैं सभी के अपने –अपने रास्ते

कभी मंजिल तक पहुचाते हैं तो कभी खुद मंजिल बन जाते हैं रास्ते

उनकी कहां मंजिलें होती हैं

जो खुद बनाते हैं…

Continue

Posted on August 31, 2013 at 11:08pm — 8 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:21am on August 4, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
अरुण कुमार निगम
said…

प्रिय हेमंत शर्मा जी, ओपन बुक्स ऑन लाइन में आपका हार्दिक स्वागत है..............

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service