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उ जमाना इयाद बा तोहर बन ठन के आइल इयाद बा ,
ना कटत रहे समय हमरा बिन इ तोहर कहल इयाद बा ,

साझ के मिलल हो जात रहे रात अइसही बातो में ,
ना लागत रहे दुरी होई हमनी के मुलाकातन में ,

तहरो वादा तोहार कसम टीस देतावे यादो में ,
तड़प रहल बानी रिम झिम रिम झिम भादो में ,

तहरा संग जे देखनी बहार आज उ पतझर लागत बा ,
तहरा संगे बितल समइया आज हमरा के डसत बा ,

करतू हमरा पर मेहरबानी हमरा इयाद से चल जईतू ,
अब आई जे तोहर इयाद हमरा के जिन्दा ना पईबू ,

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Replies to This Discussion

Guru ji pranaam,
bahut sughar birah geet ke rachanaa kaeele baani.
KHOOB KAHAT SIR

KULUVI

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