लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे उत्सव अपने आएंगे अपनेपन का जामा पहनमगरमच्छ के आँसू बहाते हुए नहीं बची होगी कोई बूॅंद तब तक निचोड़ने को अपने - पराए कीबचा होगा केवल सूखे ठूॅंठ सानिर्जिव अस्थिपिंजर ।मौलिक एवं अप्रकाशित
पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ , सौड़ काँटों का बिस्तर ।लालच के वश होत , स्वर्ग सा जीवन बदतर ।खाते सब 'कल्याण', भाग्य का नभ थल जलचर ।जब देते भगवान , नहीं फिर लगता पलभर ।मौलिक एवं अप्रकाशित
धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में , ऊँघ रहा मदहोश।सन्नाटे को चीरती, सरसर बहती वात।मेघ चाँद को ढाँपते , ज्यों पशमीना शाल।परिवर्तन संदेश दे , चमकें तारे सात।हूक हृदय में ऊठती, ज्यों चकवे की प्यास।छत पर छिटकी चाँदनी, बेकाबू जज़्बात।बिजना था…
वहाँ मैं भी पहुंचा मगर धीरे धीरे १२२ १२२ १२२ १२२ बढी भी तो थी ये उमर धीरे धीरेतो फिर क्यूँ न आये हुनर धीरे धीरेचमत्कार पर तुम भरोसा करो मतबदलती है दुनिया मगर धीरे धीरेहक़ीक़त पचाना न था इतना आसांहुआ सब पे सच का असर धीरे धीरेज़बाँ की लड़ाई अना का है क़िस्साये समझोगे तुम भी मगर धीरे…
१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के कहे झोपड़ी का नहीं मोल सिक्के।२। * लगाता है सबके सुखों को पलीता बना रोज रिश्तों में क्यों होल सिक्के।३। * रहें दूर या फिर निकट जिन्दगी में बजाता है सबको बना ढोल सिक्के।४।…
अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या डर लगता है तम को तन्हाई में।२।*छत पर बैठा मुँह फेरे वह खेतों सेक्या सूझा है मौसम को तन्हाई में।३।*झील किनारे बैठा चन्दा बतियानेदेख अकेला शबनम को तन्हाई में।४।*घाव भले भर पीर न कोई मरने देजा तू समझा…
यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर अकेलेपन और असंतोष की जड़ बन जाती है। जीवन का सार केवल सच्चाई तक सीमित नहीं, बल्कि उसमें दया, सहानुभूति और समझदारी का भी समावेश होता है। जब मुझे नई सोच और नए विचारों की आवश्यकता होती है, तो मैं उन लोगों की…
११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१२ मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो बता मुझे, मैं ये जान लूँ तो बुरा नहींमेरी ज़िन्दगी यही एक है, मुझे दूसरी का पता नहीं मुझे है यकीं कि वो आयेगा, तो मैं रोशनी में नहाऊंगाकहो आफताब से जा के ये, कि यक़ीन से मैं हटा नहीं कहे इंतिकाम उसे…
१२२/१२२/१२२/१२२*****जुड़ेगी जो टूटी कमर धीरे-धीरेउठाने लगेगा वो सर धीरे-धीरे।१।*दिलों से मिटेगा जो डर धीरे-धीरेखुलेंगे सभी के अधर धीरे -धीरे।२।*नपेंगी खला की हदें भी समय सेवो खोले उड़ेगा जो पर धीरे -धीरे।३।*भले द्वेष का विष चढ़े तीव्रता सेकरेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे।४।*उलझती हैं राहें अगर…
221/2121/1221/212 *** कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर होगी कहाँ से दोस्ती आँखें तरेर कर।। * उलझे थे सब सवाल ही आँखें तरेर कर देता रहा जवाब भी आँखें तरेर कर।। * देती कहाँ सुकून ये राहें भला मुझे पायी है जब ये ज़िंदगी आँखें तरेर कर।। * माँ ने दुआ में ढाल दी सारी थकान भी देखी जो…