For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्म परिवर्तन
---------------

तथाकथित धर्म के रक्षक, समय समय पर अपने राजनैतिक लाभ के लिये समाज के निम्न आय और कमजोर समूह के लोगों को धर्म परिवर्तन करने के नाम पर अपनी कुशाग्रता का परिचय देते हुए जन सामान्य को भ्रमित करने की चेष्टा करते रहते हैं। परंतु जो लोग धर्म परिवर्तन करते हैं या जिसे धर्म परिवर्तन कहा जा रहा होता है वह तो मतवाद का परिवर्तन है क्योंकि हिन्दू या मुस्लिम, बौद्ध , जैन या ईसाई अथवा अन्य सब मतवाद ही हैं धर्म नहीं। समय समय पर मनुष्यों ने ही अपने अपने स्वार्थों और अहंकारों की तुष्टि के लिए इन मतवादों को जन्म दिया , पोसा और धर्म का नाम दे जनसामान्य का शोषण किया और करते जा रहे हैं।

जरा सोचिये ! मनुष्य इन मतवादों से पहले धरती पर आया कि ये ? इसलिए मनुष्य का असली और मूलधर्म उसके आभ्यान्तरिक लक्षण (innate characteristics) ही होते हैं उसे ही मानव धर्म कहते हैं, जिसे सब भूल गए हैं। जैसे अग्नि का धर्म है जलाना और पानी का धर्म है शीतलता लाना , परन्तु यदि अग्नि जलाना और पानी शीतलता देना बंद कर दे तो उन्हें अग्नि और पानी नहीं कहा जा सकता , इसी प्रकार यदि मनुष्य अपने आन्तरिक लक्षण मानवधर्म का पालन नहीं करता तो वह मनुष्य नहीं कहला सकता। पशुओं और पौधों की तुलना में मनुष्यों का मन और बुद्धि उच्च स्तर की होती है जिसके कारण वह सत्य असत्य में भेदकर सकता है , वह कौन है कहाँ से आया है कहाँ जायेगा इस पर चिंतन मनन कर सकता है अतः मनुष्य कहलाता है। वह जानता है कि जड़ पदार्थ , पेड़पौधे और मनुष्य सभी उस परमसत्ता की विचार तरंगों के विकास क्रम की विभिन्न स्थितियां हैं अतः वह किसी में भेद भाव और ऊँच नीच का विचार नहीं रखता ,यही मानव धर्म कहलाता है। जिन्होंने स्वार्थवश या अपने अहंकार के पोषण के लिए इन आभ्यान्तरिक लक्षणों का त्याग कर दिया है वे मनुष्य कैसे कहला सकते हैं? इस तरह , धर्म की परिभाषा तो विल्कुल अलग है जिस पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है, धर्म वह है जिसे कोई अस्तित्व "धारण " करता है अर्थात उसके आभ्यान्तरिक लक्षण । पृथ्वी पर या तो मनुष्य हैं या पशु या वनस्पति, इसलिये मनुष्य के आभ्याॅंतरिक लक्षण मानवधर्म को तथा पशुओं और वनस्पतियों के लक्षण पशु और वनस्पति धर्म को प्रकट करते हैं । बस, इन्हीं तीन धर्मों के संबंध में ही शास्त्रों में विवरण पाया जाता है।


रही बात मतवादों की तो, यह मतवाद परिवर्तन तो आदिकाल से चला आ रहा है जिसमें एक प्रकार के मतवाद वाला समूह अपनी ताकत बढ़ाने के लिए दूसरे समूह को बलपूर्वक अपने में मिला लिया करता था। संस्कृत में समूह को गण कहते हैं और समूह के मुखिया को गणेश या गणपति। पूर्वकाल में लोग पहाड़ों पर रहते थे , संस्कृत में पहाड़ को गोत्र कहते हैं , समूह जिस पहाड़ पर रहता था वह अपना परिचय किसी अन्य ग्रुप के लिये उसके समूह के मुखिया के नाम से अर्थात् गोत्र का नाम बता कर देता था और ग्रुप लीडर होने से उसे देवता की तरह पूजा जाता था तभी से गणेश पूजा चली आ रही है जिसने अब वर्तमान प्रदर्शनात्मक और व्यापारिक रूप ले लिया है। और, जब कोई समूह किसी अन्य समूह से संघर्ष करते हुए हार जाता था तो उसे जीते हुए समूह में मिला कर द्वितीय स्तर का ही माना जाता था तथा उसके गोत्र को प्रवर कहा जाता था, आदि आदि।
जातियां भी समय समय पर लोगों में हुए स्वार्थमय संघर्ष का परिणाम हैं। शास्त्र सम्मत तो केवल वर्ण ही हैं जो केवल गुणों और कर्मों के अनुसार ही विभाजित किये गए हैं जन्म से नहीं। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों को परिमार्जित कर तदनुसार वर्ण प्राप्त कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गर्ग , वसुदेव , और नन्द परस्पर चचेरे भाई थे परन्तु गुणकर्म के अनुसार गर्ग को ब्राह्मण , वसुदेव को क्षत्रिय , और नन्द को वैश्य वर्ण प्राप्त था क्योंकि वे क्रमशः शिक्षा ,सेना और गोपालन का कार्य करते थे। ऐसे अनेक उदहारण इतिहास में भरे पड़े हैं। अब समय आ गया है कि हम वास्तविकता से परिचित होकर समाज का सर्वाधिक हित करें और सच्चे मनुष्य होने पर गर्व करें।
दुःख तो यह है कि मनुष्य, अपने मानव धर्म को छोड़कर पशु धर्म को लगातार अपनाता जा रहा है और कोई भी यह साहस नहीं करता कि वह मनुष्य को मनुष्य बनाने का प्रयास करे। विश्व में लाखों लोग भूखे नंगे और बेसहारा हैं , जो कोई उन्हें भोजन वस्त्र और आश्रय दे देता है वे उसी के हो जाते हैं उन्हें किसी धर्म और मतवाद से क्या मतलब? यह तो स्वार्थियों का राजनैतिक खेल है और अन्यों के लिए बुद्धिविलास।
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1214

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service