For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा सपना //कुशवाहा //

------------------------

माँ मेरी बहुत है प्यारी 

मुझको नित दुलराती है 

कई घर काम वह्  करती 

तन काट मुझे पढवाती  है 

पापा  नहीं दुनिया में अब 

माँ ही मेरी दुनिया है 

छोटी बहन एक है  मेरी 

नाम उसका मुनिया है 

इससे मांग उससे  मांग 

किताबें  खरीद लाती है 

थक कर भले ही  हो चूर चूर 

लोरी मुझको  सुनाती है 

मुनिया मेरी देखा देखी 

चील बिलौआ बनाती है 

छीनू कलम मै उससे जब 

मा मा कर  वह चिल्लाती है 

सपने उसके   करूँगा पूरे

मैं दिया और  वो बाती है 

मेरी ही बहना नही वो 

भारत माता  की थाती है 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

२४-४-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 957

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रदीप जी इस सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
इस रचना में कहन का क्रम टूट गया है। रचना की शुरूआत आपने मां से की बीच में बहन का जिक्र आया और अगली पंक्ति में फिर मां का जिक्र शुरू हो गया। यहां पाठक को समझने में दिक्कत होती है कि जिक्र आप मां का कर रहे हैं कि बहन का।
बेहतर होता कि आप मां का जिक्र करते फिर बहन का।
इस सुन्दर प्रयास के लिए एक बार फिर से बधाई स्वीकारें।
सादर!

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

देखता हूँ. 

ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये 

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

जो करना हो कर दीजिए 

सस्नेह.

कुछ संशोधन का प्रयास किया है शायद आपको पसंद आए।

मेरी माँ बहुत है प्यारी 

मुझको नित दुलराती है 

पापा  नहीं दुनिया में अब 

माँ ही मेरी दुनिया है 

घर घर जा काम वह्  करती 

काट के तन पढवाती  है 

इससे उससे  मांग मांग

किताबें  खरीद लाती है 

भले हो थक कर चूर चूर 

लोरी मुझको  सुनाती है 

छोटी बहन एक है  मेरी 

नाम उसका मुनिया है 

मुनिया मेरी देखा देखी 

चील बिलौआ बनाती है 

छीनू कलम मै उससे जब 

मा मा कर  वह चिल्लाती है 

सपने उसके   करूँगा पूरे

मैं दिया तो  वो बाती है 

मेरी ही नही वो बहना

भारत माता  की थाती है 

 

 

आदरणीय प्रदीपभाईजी, आपकी संवेदनशीलता सदा से प्रभावित करती रही है. प्रस्तुत रचना शिल्प के लिहाज चाहे जैसी हो, रचना के भाव अत्यंत समृद्ध हैं. पाठक का हृदय नम हो जाता है. बहुत-बहु बधाई स्वीकार करें, आदरणीय.

भाई बृजेशजी ने बहुत कुछ सुझाव के तौर पर कहा है. उनका अनुसरण रचनाकर्म को गति देगा.

सादर

आदरणीय गुरुदेव 

सादर अभिवादन 

प्रयास किया है तकनिकी में लाने का 

आपका आशीर्वाद फलेगा जरूर. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
5 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
22 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
45 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
52 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
53 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी ठीक है, उला सानी अदला बदली  करके भी देख लें और जो  अच्छा लगे रख लें।"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अब देखियेगा आदरणीय  हिज्र में एक ये सज़ा भी थी बे-क़रारी की इंतिहा भी थी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी शुक्रिया आदरणीय ज़र्रा नवाज़ी का ग़ज़ल पर"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service