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वो कहते हैं वतन के ख़्वाब हम मिस्मार कर देंगे( 130 )

वो कहते हैं वतन के ख़्वाब हम मिस्मार कर देंगे
सभी के बीच नफ़रत की खड़ी दीवार कर देंगे
**
सियासत सिर्फ़ चमके एक है उनका यही मक़सद
घरों में दुश्मनों की फौज़ को तय्यार कर देंगे
**
वो ऐसे बीज बोएँगे उगेगी फ़स्ल काँटों की
उन्ही काँटों से फिर हर रास्ता दुश्वार कर देंगे
**
वो इतनी नफ़रतें भी पाल कर क्यों चैन से रहते
सुकूँ इस मुल्क से क्या ख़त्म कुछ मक्कार कर देंगे
**
वतन के वास्ते क्या फ़र्ज़ हैं उससे नहीं वाक़िफ़
मगर हक़ के लिए तक़रीर की बौछार कर देंगे
**
रिआया ने दिया दुत्कार जिनको है चुनावों में
तमन्ना उनकी है जनता को हम लाचार कर देंगे
**
किसी को हक़ नहीं कानून देता है रिआया को
कि रुसवा लोग यूँ आकर सर-ए-बाजार कर देंगे
**
कभी सोचा न था कुछ लोग यूँ औज़ार खेतों के
बदलकर इस तरह से जंग का हथियार कर देंगे
**
कोई कितना ज़ियाँ कर दे इरादा है 'तुरंत' अपना
हम अपनी कोशिशों से फिर वतन गुलज़ार कर देंगे
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 19, 2021 at 7:17pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' 

जी , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2021 at 4:52pm

आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 19, 2021 at 9:29am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2021 at 9:48pm

बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय गहलोत जो....तीसरे शे'र पे जरा गौर फरमाएं..सादर।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 17, 2021 at 7:31pm

भाई Aazi Tamaam जी , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | 

Comment by Aazi Tamaam on February 17, 2021 at 4:52pm

सादर प्रणाम जनाब तुरंत जी

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है

बधाई स्वीकार करें........... 

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