For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Zaif
  • Male
  • Uttarakhand
  • India
Share on Facebook MySpace

Zaif's Friends

  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Samar kabeer
  • harivallabh sharma
  • atul kushwah
  • गिरिराज भंडारी
 

Zaif's Page

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जी नीलेश जी, सुझाव ख़ूब हैं , बहुत आभार आपक।"
Saturday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. ऋचा जी बहुत आभार आपका।"
Saturday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अमित जी, बहुत आभार। सुझाव के लिए बहुत शुक्रिय:।"
Saturday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अनिल जी, बहुत आभार"
Saturday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. राजेश कुमारी जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई। "एक गमले की हिफाज़त भी नहीं कर पाए आपके शहर में क्या खाक़ गुलिस्ताँ होगा। अपनी अपनी कही इक बार न पूछा मुझ सेमेरे दिल में भी तो जज़्बात का तूफाँ होगा"... क्या कहने। बधाई स्वीकारें।"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"ये हक़ीक़त कि सफ़र जिस्म का मुश्किल ही रहा उस पे दावा कि सफ़र रूह का आसाँ होगा.....  जी, ख़ूब! आ. नीलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई।  बधाई स्वीकारें।"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने। गुणीजन के सुझाव भी ख़ूब। बधाई।"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई।  बधाई स्वीकारें।"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. संजय जी, अच्छी ग़ज़ल हुई।  बधाई स्वीकारें। मतला ख़ूब हुआ!"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. अनिल कुमार सिंह जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकारें।"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"2122 1122 1122 22/112 हर सफ़र ज़िंदगी का देखना आसाँ होगा तुमने गर ठान लिया जी में तो फिर हाँ, होगा (1) ला-दवा हो चला है इश्क़ का ये रोग मियाँ अब दवा से कहाँ इस चीज़ का दरमाँ होगा (2) मेरे दिल को मेरे हमदम अभी गिर्या से न रोक तेरी दहलीज़ से लिपटा है,…"
Mar 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आ. अमित जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। गुणीजनों की राय पसंद आई।"
Feb 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आ. ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। गुणीजनों की राय भी ख़ूब!"
Feb 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आ. अमित जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। ये शे'र ख़ासकर पसन्द आया - पहले  भी  इस  ज़िंदगी ने  आज़माया  है  बहुत   हिज्र लेकिन सबसे मुश्किल इम्तिहाँ बनता गया"
Feb 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आ. लक्ष्मण जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है। थोड़े टंकन त्रुटिया दुरुस्त कर लें। सादर।"
Feb 24
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आ. रवि जी, बहुत आभार आपका।"
Feb 24

Profile Information

Gender
Male
City State
Almora Uttrakhand
Native Place
Almora
Profession
Working
About me
Passionate writer

(तरही ग़ज़ल - अब तुमसे दिल की बात कहें क्या ज़बाँ से हम)
221 2121 1221 212

भागें कहाँ तलक ग़मे-आहो-फ़ुगाँ से हम
जाऐंगे तेरे इश्क़ में इक रोज़ जाँ से हम

बोला था सच, पलट नहीं पाए बयाँ से हम
अब तंग आ चुके हैं ख़ुद अपनी ज़बाँ से हम

लो देखते ही देखते सब सफ़्हे जल पड़े
क्या लिख गए सियाही-ए-सोज़े-निहाँ से हम!

इक फूल था कि मुरझा गया सर-ए-गुलसिताँ
इक उम्र थी कि गुज़रे थे दौरे-ख़िजाँ से हम

आओ सिखा दूं तुमको निगाहों की गुफ़्तगू
अब तुमसे दिल की बात कहें क्या ज़बाँ से हम

आना नहीं था उसको नहीं आया 'ज़ैफ़' वो
सर पीटते ही रह गए उस आस्ताँ से हम

© मौलिक व अप्रकाशित

Zaif's Blog

ग़ज़ल - थामती नहीं हैं पलकें अश्कों का उबाल तक (ज़ैफ़)

 212 1212 1212 1212 

थामती नहीं हैं पलकें अश्कों का उबाल तक

भूल-सा गया है दिल भी, धड़कनों की ताल तक 

दो दिलों की दास्ताँ न कोई समझा है यहाँ 

अपना इश्क़ आ ही पहुँचा जुर्म के मलाल तक 

ऐ ख़ुदा, रखूँ मैं तुझसे रहमतों की आस क्या

मैं पहुँचता ही नहीं कभी तेरे ख़याल तक 

हाय! आ रहा है प्यार झूठे ग़ुस्से पर तेरे 

लाल शर्म से पड़े हैं यार, तेरे गाल तक 

आशना तुझे कहा है मैंने जाने किसलिए

पूछता…

Continue

Posted on January 12, 2023 at 7:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल (ज़ैफ़)

2122 1212 22/112

इश्क़ में दिल-जले नहीं होते

काश के तुम मिरे नहीं होते

बस ज़रूरत बिगाड़ देती है

लोग वर्ना बुरे नहीं होते

यूँ चमत्कार रोज़ होते हैं

बस हमारे लिए नहीं होते

दोष मत दो नसीब को अपने

दुनिया में ग़म किसे नहीं होते

एक बिजली जला गई थी यूँ

ये शजर अब हरे नहीं होते

तोड़ना दिल मुझे भी आता है

काश तुम फूल-से नहीं होते

'ज़ैफ़' उनका तो हो गया लेकिन

वो…

Continue

Posted on January 6, 2023 at 7:27pm — 7 Comments

पुरानी ग़ज़ल (ज़ैफ़)

11212 11212 11212 11212 

हैं यूँ ज़िंदगी ने सितम किए, मुझे क्या से क्या है बना दिया

मैं तो आसमाँ के सफ़र में था, मुझे ख़ाक में ही मिला दिया

ये ख़ुशी भी दर्द समेत थी, कि ग़मों के सहरा की रेत थी

जो ख़ुशी ने लाके दिया मुझे, मिरे ग़म ने उसको भी खा दिया

मिरे दिल में दर्द ही दर्द था, कि तमाम उम्र ये सर्द था

लहू सारा दिल ने उड़ेल कर यूँ नज़र के रस्ते गिरा दिया

जो दिल-ओ-जिगर से भी प्यारा था, जिसे अपना कहके पुकारा…

Continue

Posted on December 26, 2022 at 9:17pm — 6 Comments

ग़ज़ल - सज़ा तय हुई है ख़ता के बग़ैर (ज़ैफ़)

122 122 122 12

सज़ा तय हुई है ख़ता के बग़ैर

गला जाएगा अब रज़ा के बग़ैर

मेरे सब्र की इंतिहा देखिए

शिफ़ा चाहता हूँ दवा के बग़ैर

तेरे दाम-ए-तज़्वीर की ख़ैर हो

रिहा हो गया हूँ क़ज़ा के बग़ैर

तेरी बेवफ़ाई प कबतक जियूँ

कभी इश्क़ कर ले दग़ा के बग़ैर

अजब रस्म-ए-दुनिया है क़ाबिज़ यहाँ

न कुछ भी मिले इल्तिजा के बग़ैर

अना से छुटा तो ख़याल आया है

मैं कुछ भी नहीं हूँ ख़ुदा के…

Continue

Posted on December 24, 2022 at 2:48pm — 5 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:35pm on March 18, 2014,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

स्वागत है , भाई यमित आपका ओ बी ओ मे ॥

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आदाब। गोष्ठी का भावपूर्ण रचना से आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाईआदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी।…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"खोज 15 साल के किशु ने सारा घर सर पर उठा रखा है। कभी रो रहा है, कभी चिल्ला रहा है, कभी इधर जाने की…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आयोजन में आप सभी का स्वागत है ।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

हमें यूँ न रंगीन सपने दिखाओ - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२*अँधेरों से जब जब डरी रोशनी हैबड़ी मुश्किलों में पड़ी जिन्दगी है।१।*कहीं आदमी खुद लगे…See More
16 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

सम्राट अशोक महान

चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र थाबौद्ध धर्म का बना अनुयायीजो धर्म-सहिष्णु सम्राट…See More
Tuesday
मनोरमा जैन पाखी left a comment for मनोरमा जैन पाखी
"धन्यवाद आद. योगराज प्रभाकर सर जी"
Sunday
मनोरमा जैन पाखी updated their profile
Sunday
Manoj Misran is now a member of Open Books Online
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Mahendra Kumar जी  1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है। उसे…"
Saturday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
Saturday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service