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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Male
  • बाग़पत, उत्तर प्रदेश.
  • India
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। "गिर के फिर सँभलने में देर कितनी लगती है".... ये मिसरा मेरी ग़ज़ल में पहले ही आ चुका है। :-)) "
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी ने बेहतर इस्लाह फ़रमाई है, आपने भी अच्छा परिमार्जन किया है, पुन:बधाई। "
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की इस्लाह क़ाबिल ए ग़ौर है। शिकस्त-ए-नारवा पर बहुत उपयोगी जानकारी शेयर की है। "
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं जानता हूँ, सही शब्द मशअल और वज्न 22 है// आदरणीय शिज्जु शकूर जी आदाब, मशाल शब्द को अमित जी ने बिल्कुल सहीह नज़्म किया है, सहीह…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें,  चाँदनी बस आती है सब्र कर ज़रा सा तू  आफ़्ताब ढलने में देर कितनी लगती है /5 (रब्त स्पष्ट नहीं है, आफ़ताब के ढलने पर चाँद निकलता है... दोनों ही प्रकाशमान हैं।)…"
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की बातें क़ाबिल-ए-ग़ौर हैं, संज्ञान लीजियेगा। "
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें,  क्या पिघल न जाते तुम, मोम-से अगर होते  मोम को पिघलने में देर कितनी लगती है हूर हो, परी हो, या अप्सरा ही हो कोई...... पहली बात हूर याअप्सरा का…"
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, शानदार ग़ज़ल से मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये, ग़ज़ल का हर शे'र शे'रियत और रवानी से पुर है। "
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"वक़्त के बदलने में देर कितनी लगती है  हाल-ए-दिल सँभलने में देर कितनी लगती है  दो घड़ी सँभल ऐ दिल इतना मुज़्महिल है क्यों  ग़म की शाम ढलने में देर कितनी लगती है  मुद्द'आ मिले तो फिर ठोकरों से कैसा डर  गिर के फिर सँभलने…"
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी is now friends with Chetan Prakash and SALIM RAZA REWA
Feb 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"आदरणीय अजय जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, शेष गुणीजन कह ही चुके हैं। "
Jan 27
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"जनाब आज़ी तमाम साहिब किन्हीं कारणों से आपकी प्रस्तुति पर दोबारा हाज़िर नहीं हो सका हूँ, बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।"
Jan 27
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Jan 27
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Jan 27

Profile Information

Gender
Male
City State
BAGHPAT , UTTAR PRADESH.
Native Place
BARAUT
Profession
Private job
About me
उर्दु शायरी हिन्दी में लिखने और पढ़ने का शौक़ है॥

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Blog

ग़ज़ल (महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे)

1212 - 1122 - 1212 - 112/22

महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे 

मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे

*

मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई 

फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे

अवाम जिनको समझती रही भले किरदार 

मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे

ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब

धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे 

*

सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का

जुनून-ए-इश्क़ में हर…

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Posted on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments

ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल (उम्र मिरी यूँ रही गुज़र)

22 - 22 - 22 - 2

उम्र मिरी यूँ रही गुज़र

कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर

तपती रेत के सहरा में 

ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र 

हद्द-ए-नज़र वीराना है 

कोई साया है न शजर

ग़म के लुक़्मे खाकर मैं 

पी लेता हूँ अश्क गुहर

ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही 

बेकल दिल बेताब नज़र 

जूँ-जूँ रात गुज़रती है 

दूर हुई जाती है सहर 

तन्हा और बेबस हूँ मैं 

देख मुझे भी एक…

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Posted on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments

नज़्म - चाट

221 - 2122 - 221 - 2122 

आया है चाट वाला ले कर गली में ठेला

आते ही लग गया है बच्चों का जैसे मेला 

अम्मा से पैसे लेके दौड़ी जो बिटिया रानी 

सुनकर ही आ गया है चच्ची के मुँह में पानी

भाभी भी हो रहीं ख़ुश भय्या मँगा रहे हैं 

खाते नहीं मगर वो सबको खिला रहे हैं 

टन-टन तवा बजाता कर्छी से चाट वाला

कहता है आओ बाजी आओ जी मेरी ख़ाला

गर्मा-गरम पकौड़े चटनी है खट्टी-मीठी 

रगड़ा-मसाला खा के मुँह से…

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Posted on July 6, 2023 at 8:53pm — 4 Comments

ग़ज़ल (जाँ फिर से नुमूदार न हों ग़म के निशाँ और)

2211 -2211 -2211 -22

जाँ फिर से नुमूदार न हों ग़म के निशाँ और 

आ चल कि चलें ढूँडें कोई ऐसा जहाँ और 

दुनिया का सफ़र मुझ पे गिराँ होने लगा है

कहती है मेरी तब्अ' कि ठहरूँ न यहाँ और 

आते हैं नज़र फिर से मुझे पस्ती के इम्कान 

लगता है कि बाक़ी हैं अभी संग-ए-गिराँ और

 

भड़की हुई आतिश न बुझे ख़ून-ए-जिगर से 

इस इश्क़ के दरिया में जले आब-रसाँ और

अब सहरा की लहरें नज़र आती हैं…

Continue

Posted on June 29, 2023 at 7:18pm

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At 6:21pm on March 9, 2020, Samar kabeer said…

जनाब अमीरुद्दीन साहिब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,मैं हर ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ ।

 
 
 

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