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मिथिलेश वामनकर's Comments

Comment Wall (96 comments)

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At 11:55am on October 4, 2015, Ajay Kumar Sharma said…

श्रीमान मिथलेश जी , अनेकों धन्यवाद।

At 4:39pm on September 28, 2015, Tanuja Upreti said…

आपकी शुभकामनाओं के लियें हार्दिक आभार मिथिलेशजी I

At 12:46pm on September 18, 2015, Dr. (Mrs) Niraj Sharma said…
आदरणीय मिथिलेश जी जन्मदिन की शुभकामनाएं प्राप्त कर हार्दिक प्रसन्नता हुई,बधाई प्रेषित करने के लिए हार्दिक आभार।
At 11:49am on September 14, 2015, vaishali chaturvedi said…

धन्यवाद आ. मिथिलेशजी

At 7:54am on September 9, 2015, rajnish manga said…

प्रिय मिथिलेश जी,

जन्मदिन की शुभकामनाएं प्राप्त कर हार्दिक प्रसन्नता हुयी. इन्हें भेजने के लिए आपका अतिशय धन्यवाद. मेरी ओर से भी आपको व आपके परिवार को अनेक अनेक शुभकामनाएं. 

At 11:49pm on August 4, 2015, asha jugran said…

आद० मिथलेश वामनकर सर,ओपन बुक्स ऑन लाईन परिवार में जोड़ने के लिए तहे-दिल धन्यवाद,आपके निर्देशन में शायद हम जैसे मेढ़क भी मछली बन तैरना सीख जाए ...आपके नेक इरादे सदा बुलंद रहें,शुभकामनाएँ 

At 8:03pm on August 1, 2015, Prashant Priyadarshi said…

धन्यवाद आ. मिथिलेश सर. आपलोगों की हौसला आफ़ज़ाई मुझे हमेशा बेहतर करने की प्रेरणा देती है. कथा पर अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद.

At 6:52pm on July 27, 2015, padam godha' said…
आद0 मिथलेश वामनकर जी आपका बहुत आभार ।
At 5:07pm on July 27, 2015, Manju Dongre said…

 बहुत-बहुत आभार.....

At 3:40pm on July 23, 2015, Mamta said…
आदरणीय मिथिलेश जी बहुत -बहुत आभार!
अभी -अभी एक लघुकथा तथा कविता प्रेषित कीहै।पुनः धन्यवाद!
सादर ममता
At 8:39pm on July 20, 2015, Er Anand Sagar Pandey said…
बहुत-बहुत आभार मिथिलेश जी l
At 4:32pm on July 20, 2015, kanta roy said…
तहे दिल से आभार आपको आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी
At 4:47pm on July 17, 2015, Ravi Shukla said…

आपका दोहा गीत पढ़ा अति सुन्‍दर

छंद बद्ध रचना आज कल कम दिखती है

किन्‍तु इस मंच पर आकर तो जैसे खजाना ही मिल गया

अतयन्‍त सुखद अनुभूति

इसके लिये आप की टीम को आभार

साथ ही सीखने का प्रयास भी रहेगा

धन्‍यवाद

At 12:51pm on July 15, 2015, विनय कुमार said…

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय मिथिलेश जी..

At 6:57am on July 13, 2015, amod shrivastav (bindouri) said…
धन्यवाद सर
At 1:35am on July 13, 2015, Prashant Priyadarshi said…

धन्यवाद श्रीमान.

At 4:42pm on July 9, 2015, kanta roy said…
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , अंगुलियों की टिप्स ने कोशिश की थी आपके एक्टिविटी कमेंट्स देखने के लिए लेकिन फिसलकर जाने कैसे आपके नाम पर चली गई । अंगुलियों के टिप्स ने जैसे ही हरकत की , आसमानी रंग छा गये नजरों के सामने लहराते हुए बलखाते हुए लहरों सी कुछ तस्वीरें आई और ठहर गई कि अरे , यह तो आपका पन्ना है , वाह ! क्या खूबसूरत पन्ना है । अबतक पीले नारंगी आँखों के सामने जो आते थे जो ओबीओ के पन्ने , वो आसमानी हो चुके थे । अति सुंदर सब कुछ ..... यहाँ बहुत कुछ मिला आपके द्वारा लिखी गई भाव अभिव्यक्तियों की प्रचुर सामग्री और सबसे अद्भुत तो आपका संक्षिप्त जीवन परिचय । क्या संक्षिप्त कहूँ इसे ,नहीं वो लघुकथा सी सम्पूर्ण उपन्यास ही है । युँ कहिये की जीवन की विविधता लिये एक सुंदर तरन्नुम सी । नहीं मालूम था कि भोपाल से आपका नाता है । नाता क्या भोपाल तो ससुराल ही है । बहुत सुंदर रोचकता से भरपूर आपके जीवन का एक सुंदर और सुखद पहलु देखा । थोडा सा और जाना हमारे ओबीओ मंच प्रबंधक में से एक के जीवन जीने के सलीके और तरीके को ।बेहद ही उम्दा । खूब लिखिए खूब सँवरिये और खूब बिंदास ओबीओ प्रबंधिकी संभालिये । अब नहीं लिखती हूँ कुछ भी जरा क्योंकि अभी आपकी रचनाएँ भी यहाँ पढनी है । सादर
At 3:15pm on July 3, 2015, Rajat rohilla said…
आपका हार्दिक धन्यवाद :)
At 9:33pm on July 2, 2015, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

आदरणीय मिथिलेश भाई

आपके अनुरोध को आज ही देख पाया । मुझे भी हार्दिक खुशी हुई आपको मित्र बनाकर , धन्यवाद ।

At 11:42pm on July 1, 2015, Sandeep Kumar said…

आपका बहुत बहुत आभार :)

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