जहाँ भी एक स्वर के साथ दो से अधिक व्यंजन जुड़े हों वहाँ संयुक्ताक्षर होता है। प्र, व्य, स्थ, ल्य, क्त, न्त, आदि सभी संयुक्ताक्षर हैं। हिन्दी मे कुछ संयुक्ताक्षर वर्णमाला में भी जोड़ दिये गये हैं लेखन की सुविधा के लिये। क्+ष= क्ष, त्+र = त्र, ज् + ञ = ज्ञ। ध्यान देने योग्य है इन संयुक्ताक्षरों में पहला वर्ण स्वर रहित या हलन्त युक्त है। एक से अधिक व्यंजन भी जुड़ते हैं जैसे उ+ ज् + ज् + व + ल = उज्ज्वल यहाँ भी ’ज्ज्व’ की मात्रा एक ही होगी - २११ क्योंकि एक ही स्वर (लघु) प्रयुक्त हुआ है।
’ज़िन्दगी’ की हिन्दी में भी पाँच मात्रायें होंगी। यथा ऽ।ऽ या २१२। हिन्दी छन्द शास्त्र के अनुसार व्यंजन की आधी मात्रा होती और किसी व्यंजन का उच्चारण बिना स्वर के सम्मिलन के सम्भव नहीं है। यदि लघु वर्ण के बाद कोई संयुक्ताक्षर आता है तो संयुक्ताक्ष के पूर्व का वर्ण दीर्घ हो जाता है। अर्द्धाक्षर का लोप नहीं होता।किसी संयुक्ताक्षर की वही मात्रा होती है जो उसके मुख्य व्यंजन की होती है।
वीनस जी को एक अच्छी और ज्ञानवर्द्धक चर्चा प्रारम्भ करने के लिये धन्यवाद!
गुरु (212 212 12)x2 मेँ इक गजल बनी अब इसका बहर क्या होगा ?
ऐसे ही कई गजलेँ बनी हे ।
(2122 2122 21)x2,
(2212 2212 22)x2
122 22 122 22 122 आदि ।
सिखने के क्रम मे ही लिखा । बहर नाम पूछते मेरे दोस्त । मै तो हैरान हूँ । अब कैसे यिन बहर का नाम ढूँढूँ ?
Aadarniy shree Tijak Raj Jee Kapoor sahib,Aapke mahine ka sakriy sadasy chune jane par hardik badhaee.iske liye OBO.priwar khud ko gaurvanit mahsoos karta hai.
OBO प्रबंधन द्वारा महीने के सक्रिय सदस्य चुने जाने पर बहुत बहुत बधाई.....आशा ही नही पूर्ण विस्वास है की आपका सहयोग हमलोगों को निरंतर इसी प्रकार मिलता रहेगा.....
आदरणीय तिलक सर, ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन द्वारा "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) चुने जाने पर आपको बहुत बहुत शुभकामना, बधाई हो बधाई,
आदरणीय श्री तिलक राज कपूर जी, सादर अभिवादन, यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा | आपका एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन
aadarniy Tilak Raj Ji Kapoor sahib,aapki sabhee classes ko mein Dyanpoorvak padhata hoon,achcha lagta hai,kuchcha sikhane ko milta hi hai aapka sneh banaa rahe.aabhaar
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Tilak Raj Kapoor's Comments
Comment Wall (36 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
जहाँ भी एक स्वर के साथ दो से अधिक व्यंजन जुड़े हों वहाँ संयुक्ताक्षर होता है। प्र, व्य, स्थ, ल्य, क्त, न्त, आदि सभी संयुक्ताक्षर हैं। हिन्दी मे कुछ संयुक्ताक्षर वर्णमाला में भी जोड़ दिये गये हैं लेखन की सुविधा के लिये। क्+ष= क्ष, त्+र = त्र, ज् + ञ = ज्ञ। ध्यान देने योग्य है इन संयुक्ताक्षरों में पहला वर्ण स्वर रहित या हलन्त युक्त है। एक से अधिक व्यंजन भी जुड़ते हैं जैसे उ+ ज् + ज् + व + ल = उज्ज्वल यहाँ भी ’ज्ज्व’ की मात्रा एक ही होगी - २११ क्योंकि एक ही स्वर (लघु) प्रयुक्त हुआ है।
आदरणीय तिलकराज जी,
’ज़िन्दगी’ की हिन्दी में भी पाँच मात्रायें होंगी। यथा ऽ।ऽ या २१२। हिन्दी छन्द शास्त्र के अनुसार व्यंजन की आधी मात्रा होती और किसी व्यंजन का उच्चारण बिना स्वर के सम्मिलन के सम्भव नहीं है। यदि लघु वर्ण के बाद कोई संयुक्ताक्षर आता है तो संयुक्ताक्ष के पूर्व का वर्ण दीर्घ हो जाता है। अर्द्धाक्षर का लोप नहीं होता।किसी संयुक्ताक्षर की वही मात्रा होती है जो उसके मुख्य व्यंजन की होती है।
वीनस जी को एक अच्छी और ज्ञानवर्द्धक चर्चा प्रारम्भ करने के लिये धन्यवाद!
MANY MANY HAPPY RETURNS OF THE DAY TILAK SIR....
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
ऐसे ही कई गजलेँ बनी हे ।
(2122 2122 21)x2,
(2212 2212 22)x2
122 22 122 22 122 आदि ।
सिखने के क्रम मे ही लिखा । बहर नाम पूछते मेरे दोस्त । मै तो हैरान हूँ । अब कैसे यिन बहर का नाम ढूँढूँ ?
बहुत बहुत बधाई हो....
CONGRATS TILAK SIR..........
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
of the Month) चुने जाने पर आपको बहुत बहुत शुभकामना, बधाई हो बधाई,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में
आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य"
(Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
आपका
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
सदस्य टीम प्रबंधनRana Pratap Singh said…
आदरणीय तिलक राज कपूर ji
OBO परिवार में आपका स्वागत है|
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
कैसे खैर मनाएँ
दोहा पंचक. . . . .प्रेम
यह धर्म युद्ध है
कुंडलिया .... गौरैया
बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
काश कहीं ऐसा हो जाता
दोहा पंचक. . .
आँख मिचौली
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
दोहा पंचक. . . . .
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
दोहा पंचक. . . . .नारी
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( आप क्यूँ दूर दूर हैं हम से )
मेरे नाम की पाति
ग़ज़ल: सही सही बता है क्या
है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहा पंचक. . . . .
Latest Activity
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर posted a blog post
ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162