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विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी's Comments
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी,
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
सादर धन्यवाद
स्नेही विनय जी
आपने अपने व्यस्त समय से मुझे मार्गदर्शन किया. काफी विस्त्रत जानकारी दी. निराशा थी. प्रोत्साहन मिला .स्नेह बनाये रखिये.
प्रिय बन्धु,आपका आभार किन शब्दों में व्यक्त करूँ ...शब्द नहीं हैं...आपने मुझको इस साईट से परिचित करवाकर मेरे लिए ज्ञान का महासागर समक्ष कर दिया है ....अब यह पूरी तरह मेरे ऊपर निर्भर है की मैं इस महासागर की कितनी गहराइयों में उतरकर अपने लिए ज्ञान के मोती चुनूँ...मेरा पूरा प्रयास रहेगा की हमेशा आप सबके स्नेहाशीष से आपकी अपेक्षाओं को पूरा कर सकने में समर्थ हो पाऊं .......अत्यंत आभार ....ह्रदय से ........
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी
कल बहुतों का कल ले लेता .
कल को छीन विकल कर देता।
पूरी रचना अच्छी लगी।
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
प्रिय भाई विन्ध्येश्वरी जी, आपकी सहृदय संवेदनाओं से बड़ा संबल मिला है...
सादर नमन।
Bhai Tripathi ji, Hamari Mitra mandali me aapka khule dil se svagat hai.
आदरणीय , श्री त्रिपाठी जी.
आपको प्रतियोगिता में सफल होने के लिए बहुत-२ बधाइयाँ और ढेर सारी शुभकामनाये...
बहुत ही सुन्दर मोतियाँ आपने सीप से एकत्रित की है! बहुत ही सुन्दर! कम शब्द, अर्थ अधिक, मार्मिक, आत्मिक.
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