Comments - ग़ज़ल - कुबूल है - Open Books Online2024-03-28T16:53:38Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A992929&xn_auth=noजनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2019-09-29:5170231:Comment:9934532019-09-29T05:34:20.800ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>ग़ज़ल के सभी अशआर में रदीफ़ और क़वाफ़ी में ताल मेल नहीं है,ग़ौर करें ।</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>ग़ज़ल के सभी अशआर में रदीफ़ और क़वाफ़ी में ताल मेल नहीं है,ग़ौर करें ।</p> बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9934292019-09-28T12:37:47.264Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी...</p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी...</p>