Comments - उपाय(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T23:53:16Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A991995&xn_auth=noआपकी कलम की खूबी है कि कम स क…tag:openbooks.ning.com,2019-09-23:5170231:Comment:9925732019-09-23T00:40:00.622Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आपकी कलम की खूबी है कि कम स कम शब्दों में बहुत कह लेती है, और इतना ही नहीं, भावपूर्ण और प्रभावशाली भी है।बधाई, भाई गोपाल नारायन जी।</p>
<p>आपकी कलम की खूबी है कि कम स कम शब्दों में बहुत कह लेती है, और इतना ही नहीं, भावपूर्ण और प्रभावशाली भी है।बधाई, भाई गोपाल नारायन जी।</p> जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास…tag:openbooks.ning.com,2019-09-19:5170231:Comment:9922972019-09-19T06:17:59.591ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,मैं भी जनाब बाग़ी जी से सहमत हूँ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,मैं भी जनाब बाग़ी जी से सहमत हूँ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आ० बागी जी , आप इस पोस्ट पर आ…tag:openbooks.ning.com,2019-09-13:5170231:Comment:9920702019-09-13T07:18:27.840Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० बागी जी , आप इस पोस्ट पर आये , मैं ह्रदय से अनुग्रहीत हुआ आपका सम्मति से मैं बिलकुल सहमत हूँ I आगे भी ऐसे ही मार्गदर्शन की उम्मीद करता हूँ I आपका बहुत- बहुत आभार I </p>
<p>आ० बागी जी , आप इस पोस्ट पर आये , मैं ह्रदय से अनुग्रहीत हुआ आपका सम्मति से मैं बिलकुल सहमत हूँ I आगे भी ऐसे ही मार्गदर्शन की उम्मीद करता हूँ I आपका बहुत- बहुत आभार I </p> लघुकथा में कल्पना का पुट काल…tag:openbooks.ning.com,2019-09-12:5170231:Comment:9920512019-09-12T16:10:05.026ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>लघुकथा में कल्पना का पुट काल और परिवेश के अनुसार दी जाती है, किन्तु यह यथार्थ की धरातल पर होने से लघुकथा की खूबसूरती बढ़ती है ।</p>
<p>यहाँ दो चीजें हैं, माँ द्वारा पूछा जाना और बेटी का जवाब।</p>
<p>माँ द्वारा किया गया संवाद यह दिखाता है कि वह परिवार सामान्य भारतीय परिवार है और उसमें बेटी द्वारा दिया गया तीक्ष्ण जवाब बिलकुल अप्रत्याशित लगता है । यदि बेटी का स्वभाव उस तरह का होता तो माँ कभी वैसा प्रश्न न करती और यदि माँ ऐसा प्रश्न कर रही है तो बेटी कभी ऐसा उत्तर न देती । </p>
<p>हाँ, वही बात…</p>
<p>लघुकथा में कल्पना का पुट काल और परिवेश के अनुसार दी जाती है, किन्तु यह यथार्थ की धरातल पर होने से लघुकथा की खूबसूरती बढ़ती है ।</p>
<p>यहाँ दो चीजें हैं, माँ द्वारा पूछा जाना और बेटी का जवाब।</p>
<p>माँ द्वारा किया गया संवाद यह दिखाता है कि वह परिवार सामान्य भारतीय परिवार है और उसमें बेटी द्वारा दिया गया तीक्ष्ण जवाब बिलकुल अप्रत्याशित लगता है । यदि बेटी का स्वभाव उस तरह का होता तो माँ कभी वैसा प्रश्न न करती और यदि माँ ऐसा प्रश्न कर रही है तो बेटी कभी ऐसा उत्तर न देती । </p>
<p>हाँ, वही बात इशारों में कही जा सकती थी जैसे...</p>
<p>माँ आप चिंता न करों, आपकी बेटी समझदार है, जीन्स की पैकेट में रखी गोली को हाथ से दबाते हुए बोली ।</p>
<p>या कुछ और ...</p>