Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T08:56:41Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A991369&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर जी, प्रोत्साह…tag:openbooks.ning.com,2019-09-01:5170231:Comment:9918432019-09-01T17:40:01.961ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय समर कबीर जी, प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद एवं सुझाव के लिए आभार।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद एवं सुझाव के लिए आभार।</p> जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2019-09-01:5170231:Comment:9915982019-09-01T09:29:46.246ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'संकटों से आदमी क्या देव भी बचते नहीं</span><br/><span>वक्त के आगे सभी होते यहां मजबूर है'</span></p>
<p><span>इस शैर के सानी मिसरे में 'सभी' शब्द के कारण रदीफ़ है कि बजाय "हैं" हो गई है,शैर यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'संकटों से देव भी बचते नहीं संसार में</span></p>
<p><span>वक़्त के आगे यहाँ हर आदमी मजबूर है'</span></p>
<p>जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'संकटों से आदमी क्या देव भी बचते नहीं</span><br/><span>वक्त के आगे सभी होते यहां मजबूर है'</span></p>
<p><span>इस शैर के सानी मिसरे में 'सभी' शब्द के कारण रदीफ़ है कि बजाय "हैं" हो गई है,शैर यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'संकटों से देव भी बचते नहीं संसार में</span></p>
<p><span>वक़्त के आगे यहाँ हर आदमी मजबूर है'</span></p>