Comments - शेर लब से लब टहलकर कागजी हो जायेगा - Open Books Online2024-03-29T13:32:31Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A988596&xn_auth=noऐसा क्या हुआ प्रिय?
अध्यन करे…tag:openbooks.ning.com,2019-09-05:5170231:Comment:9919282019-09-05T15:25:37.639ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>ऐसा क्या हुआ प्रिय?</p>
<p>अध्यन करें और गाहे गाहे लिखते भी रहें,मायूसी अच्छी चीज़ नहीं ।</p>
<p>ऐसा क्या हुआ प्रिय?</p>
<p>अध्यन करें और गाहे गाहे लिखते भी रहें,मायूसी अच्छी चीज़ नहीं ।</p> आदरणीय समर दादा जी प्रणाम
जी…tag:openbooks.ning.com,2019-09-04:5170231:Comment:9918572019-09-04T15:25:35.522Zamod shrivastav (bindouri)https://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
<p>आदरणीय समर दादा जी प्रणाम </p>
<p>जी दादा .... ख़याल, ख्याल में मुझे कुछ समझ नहीं आया था इसी लिए </p>
<p>दादा ये अंतिम ही रचना थी आगे अव ग़जल लेखन बंद ही है । मेरी क्षमता जहाँ तक थी मैंने सीखने का प्रयाश किया था पर विधा के आगे के हिस्से अब समझ नहीं आ रहे वैसे मैंने पूरी किताब ग़जल की बाबत , और एक पढ़ी हैं । शुक्रिया दादा ..नमन </p>
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<p>आदरणीय समर दादा जी प्रणाम </p>
<p>जी दादा .... ख़याल, ख्याल में मुझे कुछ समझ नहीं आया था इसी लिए </p>
<p>दादा ये अंतिम ही रचना थी आगे अव ग़जल लेखन बंद ही है । मेरी क्षमता जहाँ तक थी मैंने सीखने का प्रयाश किया था पर विधा के आगे के हिस्से अब समझ नहीं आ रहे वैसे मैंने पूरी किताब ग़जल की बाबत , और एक पढ़ी हैं । शुक्रिया दादा ..नमन </p>
<p></p> जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2019-07-28:5170231:Comment:9890882019-07-28T08:45:46.301ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपको कई बार कह चुका हूँ कि बिना अध्यन के शाइरी करना ऐसा ही है जैसे बिना पतवार के समन्दर में नाव चलाना ।</p>
<p></p>
<p><span>'ख्याल लफ्जों से उतरकर शाइरी हो जाएगा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में आपने 'ख़याल' शब्द को 21 पर लिया है जबकि इसका वज़्न 121 होता है,देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपको कई बार कह चुका हूँ कि बिना अध्यन के शाइरी करना ऐसा ही है जैसे बिना पतवार के समन्दर में नाव चलाना ।</p>
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<p><span>'ख्याल लफ्जों से उतरकर शाइरी हो जाएगा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में आपने 'ख़याल' शब्द को 21 पर लिया है जबकि इसका वज़्न 121 होता है,देखियेगा ।</span></p>