Comments - आइना - Open Books Online2024-03-28T19:13:20Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A986513&xn_auth=noआदरणीय नवीन भाई , ग़ज़ल के बेह…tag:openbooks.ning.com,2019-07-07:5170231:Comment:9870952019-07-07T08:42:47.603Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय नवीन भाई , ग़ज़ल के बेहतर प्रयास लिए बधाई स्वीकार करें , आदरणीय समर भाई जी की इस्लाह के बाद और बेहतर हो गयी है .. पुनः बधाई !</p>
<p>आदरणीय नवीन भाई , ग़ज़ल के बेहतर प्रयास लिए बधाई स्वीकार करें , आदरणीय समर भाई जी की इस्लाह के बाद और बेहतर हो गयी है .. पुनः बधाई !</p> आ0 कबीर सर इस महत्वपूर्ण इस्ल…tag:openbooks.ning.com,2019-06-30:5170231:Comment:9869322019-06-30T19:17:14.689ZNaveen Mani Tripathihttps://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर इस महत्वपूर्ण इस्लाह हेतु हार्दिक आभार और नमन ।</p>
<p>आ0 कबीर सर इस महत्वपूर्ण इस्लाह हेतु हार्दिक आभार और नमन ।</p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2019-06-30:5170231:Comment:9868192019-06-30T06:22:28.570ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'अब न चहरे की शिकन कर दे उजागर आइना'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में "अब न" शब्द भर्ती का है,देखियेगा ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'सच बताने पर सजाए मौत की ख़ातिर यहां ।<br></br>पत्थरो से तोड़ते हैं लोग अक्सर आइना'</span></p>
<p><span>इस शैर का ऊला पूरी तरह स्पष्ट नहीं,यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'जग पे ज़ाहिर हो न जाये सच इसी डर से यहाँ'</span></p>
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<p><span>'आसमां छूने लगेंगी ये अना…</span></p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'अब न चहरे की शिकन कर दे उजागर आइना'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में "अब न" शब्द भर्ती का है,देखियेगा ।</span></p>
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<p><span>'सच बताने पर सजाए मौत की ख़ातिर यहां ।<br/>पत्थरो से तोड़ते हैं लोग अक्सर आइना'</span></p>
<p><span>इस शैर का ऊला पूरी तरह स्पष्ट नहीं,यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'जग पे ज़ाहिर हो न जाये सच इसी डर से यहाँ'</span></p>
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<p><span>'आसमां छूने लगेंगी ये अना और शोखियां ।<br/>जब दिखाएगा तुझे चेहरे का मंजर आइना'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला मिसरे में 'अना' और 'शौख़ियाँ' भर्ती के शब्द है,ग़ौर करें ।</span></p>
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<p><span>'आरिजे गुल पर तुम्हारे है कोई गहरा निशान'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'आरिज़-ए-गुल' का अर्थ है 'गुल के आरिज़' इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'फूल से आरिज़ पे है तेरे कोई गहरा निशाँ'</span></p>
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<p><span><br/>'जो सँवरने के लिए देखा है शब भरआइना'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'देखा' को "देखे" कर लें ।</span></p>
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<p><span>'हैं लबों पर जुम्बिशें क्यूँ इश्क़ के इज़हार पर ।<br/>जब बताता है तुझे तेरा मुक़द्दर आइना'</span></p>
<p>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,दूसरी बात ये कि आइना मुक़द्दर नहीं बताता,इस हिसाब से ये शैर भर्ती का है ।</p>
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