Comments - हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ -सलीम रज़ा रीवा - Open Books Online2024-03-28T20:34:18Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A980274&xn_auth=noजनाब अजय कुमार शर्मा जी ,आपके…tag:openbooks.ning.com,2019-04-19:5170231:Comment:9808802019-04-19T02:58:25.097ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p>जनाब अजय कुमार शर्मा जी ,<br/>आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,</p>
<p>जनाब अजय कुमार शर्मा जी ,<br/>आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,</p> जनाब सुशील सरना जी ,आपके हौसल…tag:openbooks.ning.com,2019-04-19:5170231:Comment:9811252019-04-19T02:57:43.815ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p>जनाब सुशील सरना जी ,<br/>आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,</p>
<p>जनाब सुशील सरना जी ,<br/>आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,</p> आपकी पुरख़ुलूस हौसला अफ़जाई क…tag:openbooks.ning.com,2019-04-19:5170231:Comment:9810612019-04-19T02:55:46.741ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p><span>आपकी पुरख़ुलूस हौसला अफ़जाई का बेहद शुक्रिया मोहतरम समर साहब,</span></p>
<p><span>आपकी पुरख़ुलूस हौसला अफ़जाई का बेहद शुक्रिया मोहतरम समर साहब,</span></p> बहुत शुक्रिया बृजेश जीtag:openbooks.ning.com,2019-04-19:5170231:Comment:9809922019-04-19T02:55:22.090ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
<p><span>बहुत शुक्रिया बृजेश जी</span></p>
<p><span>बहुत शुक्रिया बृजेश जी</span></p> बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सल…tag:openbooks.ning.com,2019-04-13:5170231:Comment:9806492019-04-13T12:51:10.445Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सलीम साहब..बधाई</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सलीम साहब..बधाई</p> सलीम रजा साहब बधाई स्वीकार कर…tag:openbooks.ning.com,2019-04-11:5170231:Comment:9802912019-04-11T05:04:17.519ZAjay Kumar Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSharma805
<p>सलीम रजा साहब बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>बहुत सुन्दर गजल.</p>
<p>सलीम रजा साहब बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>बहुत सुन्दर गजल.</p> वाह आदरणीय रज़ा साहिब, बहुत ही…tag:openbooks.ning.com,2019-04-10:5170231:Comment:9804362019-04-10T13:09:10.497ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>वाह आदरणीय रज़ा साहिब, बहुत ही खूबसूरत अहसासों को अंज़ाम दिया आपने इस ग़ज़ल में। दिल से मुबारक कबूल फरमाएं सर।</p>
<p>वाह आदरणीय रज़ा साहिब, बहुत ही खूबसूरत अहसासों को अंज़ाम दिया आपने इस ग़ज़ल में। दिल से मुबारक कबूल फरमाएं सर।</p> जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2019-04-09:5170231:Comment:9802862019-04-09T12:34:00.330ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p> अदरणीय तेज वीर सिंह जी,
आपकी…tag:openbooks.ning.com,2019-04-08:5170231:Comment:9805162019-04-08T17:44:23.960ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
अदरणीय तेज वीर सिंह जी,<br />
आपकी मोहब्बत के लिए बहुत शुक्रिया
अदरणीय तेज वीर सिंह जी,<br />
आपकी मोहब्बत के लिए बहुत शुक्रिया हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा…tag:openbooks.ning.com,2019-04-08:5170231:Comment:9805092019-04-08T12:53:13.004ZTEJ VEER SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रीवा जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर </p>
<p>हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रीवा जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर </p>
<p>हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें</p>