Comments - राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९३ - Open Books Online2024-03-28T22:46:07Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A972909&xn_auth=noआदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साह…tag:openbooks.ning.com,2019-04-27:5170231:Comment:9825882019-04-27T15:15:15.177Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. </p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. </p> आदरणीय समर कबीर साहब, माज़रत…tag:openbooks.ning.com,2019-04-27:5170231:Comment:9825872019-04-27T15:14:07.305Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, माज़रत चाहूँगा, बहुत देर से इस पोस्ट पे लौटा हूँ. आपके बताए सुझाव के मुताबिक तरमीम करता हूँ. सादर. </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, माज़रत चाहूँगा, बहुत देर से इस पोस्ट पे लौटा हूँ. आपके बताए सुझाव के मुताबिक तरमीम करता हूँ. सादर. </p> आद0 राज़ नवादगी सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2019-02-05:5170231:Comment:9727972019-02-05T12:34:38.825Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 राज़ नवादगी सादर अभिवादन। काफ़िया दोष को अगर छोड़ दिया जाए तो अच्छी ग़ज़ल है। बधाई स्वीकार कीजिये।</p>
<p>आद0 राज़ नवादगी सादर अभिवादन। काफ़िया दोष को अगर छोड़ दिया जाए तो अच्छी ग़ज़ल है। बधाई स्वीकार कीजिये।</p> ब्लाग पर जनाब दयाराम मैठानी ज…tag:openbooks.ning.com,2019-02-04:5170231:Comment:9728722019-02-04T18:23:24.120ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>ब्लाग पर जनाब दयाराम मैठानी जी की ग़ज़ल पर इस दोष के बारे में विस्तृत चर्चा है ,उसे पढ़ लें ।</p>
<p>ब्लाग पर जनाब दयाराम मैठानी जी की ग़ज़ल पर इस दोष के बारे में विस्तृत चर्चा है ,उसे पढ़ लें ।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. आ…tag:openbooks.ning.com,2019-02-04:5170231:Comment:9729242019-02-04T17:11:02.262Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. आपकी इस्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे कुछ ऐसा ही आभास हो रहा था. कृपा कर दोष को थोड़ा विस्तार से समझाएं, और इसे कैसे दूर किया जा सकता है, इसे बताने की कृपा करें. बहुत मेहरबानी होगी. सादर.</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. आपकी इस्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे कुछ ऐसा ही आभास हो रहा था. कृपा कर दोष को थोड़ा विस्तार से समझाएं, और इसे कैसे दूर किया जा सकता है, इसे बताने की कृपा करें. बहुत मेहरबानी होगी. सादर.</p> जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,पू…tag:openbooks.ning.com,2019-02-04:5170231:Comment:9726912019-02-04T15:56:44.639ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,देखिये ।</p>
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,देखिये ।</p>