Comments - खामियाजा ( लघु कथा ) - Open Books Online2024-03-29T15:10:19Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A965243&xn_auth=noआ० समर कबीर साहब , बहुर -बहुत…tag:openbooks.ning.com,2018-12-17:5170231:Comment:9656252018-12-17T06:25:39.577Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० समर कबीर साहब , बहुर -बहुत शुक्रिया </p>
<p>आ० समर कबीर साहब , बहुर -बहुत शुक्रिया </p> आ० शेख शहजाद उस्मानी साहब.,…tag:openbooks.ning.com,2018-12-17:5170231:Comment:9654652018-12-17T06:24:07.420Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० शेख शहजाद उस्मानी साहब., बहुत-बहुत धन्यवाद </p>
<p>आ० शेख शहजाद उस्मानी साहब., बहुत-बहुत धन्यवाद </p> आ० सुरेन्द्र इंसान जी , आपका…tag:openbooks.ning.com,2018-12-17:5170231:Comment:9656232018-12-17T06:22:28.251Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० सुरेन्द्र इंसान जी , आपका आभार i </p>
<p>आ० सुरेन्द्र इंसान जी , आपका आभार i </p> जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास…tag:openbooks.ning.com,2018-12-16:5170231:Comment:9654522018-12-16T18:27:43.521ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> कृपया "लघु कथा" को सुधार कर "…tag:openbooks.ning.com,2018-12-14:5170231:Comment:9652732018-12-14T01:21:06.986ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>कृपया "लघु कथा" को सुधार कर "<strong>लघुकथा</strong>" लिख दीजियेगा।</p>
<p>कृपया "लघु कथा" को सुधार कर "<strong>लघुकथा</strong>" लिख दीजियेगा।</p> वाह। दोहरे कटाक्ष। दोहरी स्वी…tag:openbooks.ning.com,2018-12-14:5170231:Comment:9652712018-12-14T01:19:42.588ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वाह। दोहरे कटाक्ष। दोहरी स्वीकारोक्ति! जैसे को तैसा। हालात-ए-हाज़रा। बेहतरीन सारगर्भित विचारोत्तेजक सबक़। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब।</p>
<p>वाह। दोहरे कटाक्ष। दोहरी स्वीकारोक्ति! जैसे को तैसा। हालात-ए-हाज़रा। बेहतरीन सारगर्भित विचारोत्तेजक सबक़। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब।</p> बहुत बढ़िया जी । सार्थक रचना क…tag:openbooks.ning.com,2018-12-13:5170231:Comment:9652512018-12-13T05:12:45.152Zsurender insanhttps://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
<p>बहुत बढ़िया जी । सार्थक रचना की बधाई हो ।</p>
<p>बहुत बढ़िया जी । सार्थक रचना की बधाई हो ।</p>