Comments - ग़ज़ल- चींटियाँ उड़ने लगीं, शाहीन कह देने के बाद - Open Books Online2024-03-28T13:24:59Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A957907&xn_auth=noआदरणीय अजय तिवारी जी, आपको ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2018-10-27:5170231:Comment:9582652018-10-27T10:48:59.524ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, आपको ग़ज़ल पसन्द आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>धन्यवाद!</p>
<p></p>
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, आपको ग़ज़ल पसन्द आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>धन्यवाद!</p>
<p></p> आदरणीय महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2018-10-27:5170231:Comment:9584372018-10-27T10:47:40.887ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p>
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<p>आदरणीय महेंद्र कुमार जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p>
<p></p> आदरणीय बलराम जी, एक और ऊर्जाव…tag:openbooks.ning.com,2018-10-27:5170231:Comment:9582472018-10-27T02:23:32.241ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p><span>आदरणीय बलराम जी, एक और ऊर्जावान ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. </span></p>
<p><span>आदरणीय बलराम जी, एक और ऊर्जावान ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. </span></p> बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2018-10-26:5170231:Comment:9579952018-10-26T06:25:07.155ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय बलराम धाकड़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।</p>
<p>बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय बलराम धाकड़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।</p> आदरणीय ब्रजेश जी, हौसला अफजाई…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9580642018-10-25T16:16:11.631ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय ब्रजेश जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीय ब्रजेश जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p> आदरणीय सुरेंद्र जी, ग़ज़ल में श…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9581212018-10-25T16:15:05.870ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय सुरेंद्र जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीय सुरेंद्र जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!</p>
<p>सादर!</p> आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन ए…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9579792018-10-25T12:47:31.272ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन एवं धन्यवाद। आप जिस तवज्जो और जितना वक़्त देकर ग़ज़लों की तक़तीअ और मीमांसा करते हैं वह हम जैसे शागिर्दों के लिए किसी प्रकाश स्तम्भ से कम नहीं है। आपके कहे मुताबिक सुधार कर लिया जाएगा। पुनः बहुत आभार।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय समर सर, सादर अभिवादन एवं धन्यवाद। आप जिस तवज्जो और जितना वक़्त देकर ग़ज़लों की तक़तीअ और मीमांसा करते हैं वह हम जैसे शागिर्दों के लिए किसी प्रकाश स्तम्भ से कम नहीं है। आपके कहे मुताबिक सुधार कर लिया जाएगा। पुनः बहुत आभार।</p>
<p>सादर।</p> बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9580472018-10-25T07:14:16.525Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..3,4,5 शे'र विशेष रूप से पसंद आये।आदरणीय समर जी की टिप्पड़ी शिक्षा पूर्ण है।</p>
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..3,4,5 शे'र विशेष रूप से पसंद आये।आदरणीय समर जी की टिप्पड़ी शिक्षा पूर्ण है।</p> // मामले को वाक़ई संगीन कह देन…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9578702018-10-25T06:09:29.084ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>// <span>मामले को वाक़ई संगीन कह देने के बाद//</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मामले' की जगह और कोई शब्द रखें।</span></p>
<p>// <span>मामले को वाक़ई संगीन कह देने के बाद//</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मामले' की जगह और कोई शब्द रखें।</span></p> आद0 बलराम धाकड़ जी सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9579652018-10-25T05:53:08.372Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 बलराम धाकड़ जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर आद0 समर साहब की टिप्पणी से हम सबको भी ग़ज़ल और कथ्य की बारीकियों को समझने में मदद मिली। आपको ग़ज़ल पर मेरी दाद और बधाई निवेदित है।</p>
<p>आद0 बलराम धाकड़ जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर आद0 समर साहब की टिप्पणी से हम सबको भी ग़ज़ल और कथ्य की बारीकियों को समझने में मदद मिली। आपको ग़ज़ल पर मेरी दाद और बधाई निवेदित है।</p>