Comments - चिन्ह - Open Books Online2024-03-19T07:06:43Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A950652&xn_auth=noरचना के मर्म तक जा कर, लेखक क…tag:openbooks.ning.com,2018-10-03:5170231:Comment:9517702018-10-03T09:04:01.167Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>रचना के मर्म तक जा कर, लेखक के मन में बैठ कर, आपने मुझको मान दिया, इसके लिए आभारी हूँ, भाई समर कबीर जी।आपके सुख के लिए प्रार्थना रहती है, भाई।</p>
<p>रचना के मर्म तक जा कर, लेखक के मन में बैठ कर, आपने मुझको मान दिया, इसके लिए आभारी हूँ, भाई समर कबीर जी।आपके सुख के लिए प्रार्थना रहती है, भाई।</p> सराहना से मान देने के लिए आपक…tag:openbooks.ning.com,2018-10-03:5170231:Comment:9516692018-10-03T09:00:55.391Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय डा० छोटेलाल सिंह जी।</span></p>
<p><span>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय डा० छोटेलाल सिंह जी।</span></p> आपने मेरा मनोबल बढ़ाया। सराहना…tag:openbooks.ning.com,2018-10-03:5170231:Comment:9516682018-10-03T09:00:03.862Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आपने मेरा मनोबल बढ़ाया। <span>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी।</span></p>
<p>आपने मेरा मनोबल बढ़ाया। <span>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी।</span></p> सराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-03:5170231:Comment:9517692018-10-03T08:58:33.485Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्र्सिंह जी।</p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्र्सिंह जी।</p> सराहना से मान देने के लिए आपक…tag:openbooks.ning.com,2018-10-03:5170231:Comment:9517672018-10-03T08:57:08.244Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी।</p>
<p>सराहना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी।</p> प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2018-10-02:5170231:Comment:9517572018-10-02T17:20:57.233ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,मुग्ध हूँ इस रचना को पढ़ कर,क्या तारीफ़ की जाये इस प्रभावशाली,गम्भीर रचना की,एक शब्द 'चिन्ह' को बुनियाद बनाकर बहतरीन शिल्प में एक भरपूर रचना,कामयाब रचना,दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,मुग्ध हूँ इस रचना को पढ़ कर,क्या तारीफ़ की जाये इस प्रभावशाली,गम्भीर रचना की,एक शब्द 'चिन्ह' को बुनियाद बनाकर बहतरीन शिल्प में एक भरपूर रचना,कामयाब रचना,दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय विजय निकोर साहब बहुत अ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-02:5170231:Comment:9516552018-10-02T13:00:39.471Zडॉ छोटेलाल सिंहhttps://openbooks.ning.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीय विजय निकोर साहब बहुत अच्छी रचना आपने सृजित की बधाई स्वीकार करें</p>
<p>आदरणीय विजय निकोर साहब बहुत अच्छी रचना आपने सृजित की बधाई स्वीकार करें</p> वाह। उपसर्ग 'अ ' वाले विशेषण…tag:openbooks.ning.com,2018-10-02:5170231:Comment:9515932018-10-02T10:27:17.466ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p><span>वाह। </span><span><strong><em>उपसर्ग 'अ ' वाले विशेषण /संज्ञा शब्दों</em></strong></span><span> के अद्भुत सार्थक अनुप्रयोग के साथ बेहतरीन शिल्प में बहुत गहराई लिए बेहतरीन सार्थक सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय </span><em><strong>विजय निकोरे</strong></em><span> साहिब।</span></p>
<p><span>वाह। </span><span><strong><em>उपसर्ग 'अ ' वाले विशेषण /संज्ञा शब्दों</em></strong></span><span> के अद्भुत सार्थक अनुप्रयोग के साथ बेहतरीन शिल्प में बहुत गहराई लिए बेहतरीन सार्थक सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय </span><em><strong>विजय निकोरे</strong></em><span> साहिब।</span></p> प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2018-10-02:5170231:Comment:9517402018-10-02T06:53:03.440ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,आपकी रचना पर कुछ देर बाद हाज़िर होता हूँ ।</p>
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,आपकी रचना पर कुछ देर बाद हाज़िर होता हूँ ।</p> बहोत सुन्दर रचना tag:openbooks.ning.com,2018-09-30:5170231:Comment:9513582018-09-30T09:44:54.884Znarendrasinh chauhanhttps://openbooks.ning.com/profile/narendrasinhchauhan
<p>बहोत सुन्दर रचना </p>
<p>बहोत सुन्दर रचना </p>