Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T13:02:00Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A943356&xn_auth=noआदरणीय किशोर कांत जी,ग़ज़ल का अ…tag:openbooks.ning.com,2018-08-06:5170231:Comment:9435852018-08-06T18:27:01.349ZRavi Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणीय <span>किशोर कांत जी,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें । दूसरे आैर तीसरे शेर में यहाँ लफ्ज स्पषट हो जाए तो शेर आेर सुंदर हो जाएगा । सादर</span></span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणीय <span>किशोर कांत जी,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें । दूसरे आैर तीसरे शेर में यहाँ लफ्ज स्पषट हो जाए तो शेर आेर सुंदर हो जाएगा । सादर</span></span></p> जनाब किशोर साहिब, अच्छी ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2018-08-06:5170231:Comment:9434712018-08-06T16:40:53.300ZTasdiq Ahmed Khanhttps://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब किशोर साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुलफरमाएं l मुहतरम समर साहिब के मशवरे पर ग़ौर कीजियेगा I सही शब्द तन्हा है तनहां नहीं , देखिएगा </p>
<p>जनाब किशोर साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुलफरमाएं l मुहतरम समर साहिब के मशवरे पर ग़ौर कीजियेगा I सही शब्द तन्हा है तनहां नहीं , देखिएगा </p> आ. भाई किशोर जी, अच्छी गजल हु…tag:openbooks.ning.com,2018-08-06:5170231:Comment:9437332018-08-06T14:03:29.303Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई किशोर जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई किशोर जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> जनाब किशोर कांत जी आदाब,ग़ज़ल क…tag:openbooks.ning.com,2018-08-05:5170231:Comment:9435152018-08-05T09:01:40.789ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब किशोर कांत जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पहले भी आपसे निवेदन किया था कि टाइप करते समय शब्दों के बीच स्पेस दिया करें,रचना का मज़ा बिगड़ता है ।</p>
<p></p>
<p>'<span>यहाँ भी ईक नयी बाज़ी लगाकर देख लेते हैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'ईक' को "इक" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'चलो अपनी' भी हस्ती हम मिटाकर देख लेते हैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है, अगर मिसरा यूँ कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा:-</span></p>
<p><span>'चलो अपनी भी हम…</span></p>
<p>जनाब किशोर कांत जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पहले भी आपसे निवेदन किया था कि टाइप करते समय शब्दों के बीच स्पेस दिया करें,रचना का मज़ा बिगड़ता है ।</p>
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<p>'<span>यहाँ भी ईक नयी बाज़ी लगाकर देख लेते हैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'ईक' को "इक" कर लें ।</span></p>
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<p><span>'चलो अपनी' भी हस्ती हम मिटाकर देख लेते हैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है, अगर मिसरा यूँ कर लें तो ये ऐब निकल जायेगा:-</span></p>
<p><span>'चलो अपनी भी हम हस्ती मिटाकर देख लेते हैं'</span></p> आदरणीय किशोरकांत जी आदाब,
…tag:openbooks.ning.com,2018-08-05:5170231:Comment:9432992018-08-05T04:09:56.890ZMohammed Arifhttps://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय किशोरकांत जी आदाब,</p>
<p> लाजवाब ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p>
<p>आदरणीय किशोरकांत जी आदाब,</p>
<p> लाजवाब ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p>