Comments - ग़ज़ल - सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम - अजय तिवारी - Open Books Online2024-03-28T22:52:00Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A921622&xn_auth=noआदरणीय नवीन जी, हार्दिक धन्यव…tag:openbooks.ning.com,2018-03-29:5170231:Comment:9219852018-03-29T11:47:06.303ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय नवीन जी, हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p>आदरणीय नवीन जी, हार्दिक धन्यवाद.</p> वाह आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत…tag:openbooks.ning.com,2018-03-28:5170231:Comment:9220372018-03-28T15:55:15.320ZNaveen Mani Tripathihttps://openbooks.ning.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>वाह आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको ।हर शेर लाजबाब ।</p>
<p>वाह आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको ।हर शेर लाजबाब ।</p> आदरणीय सुरेन्द्र जी. हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2018-03-27:5170231:Comment:9215892018-03-27T10:56:22.188ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी. हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी. हार्दिक धन्यवाद.</p> आद0 अजय जी सादर अभिवादन। बहुत…tag:openbooks.ning.com,2018-03-27:5170231:Comment:9215802018-03-27T05:43:24.845Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अजय जी सादर अभिवादन। बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। पढ़कर बढिया लगा। वाह वाह, ।।शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाए।</p>
<p>आद0 अजय जी सादर अभिवादन। बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। पढ़कर बढिया लगा। वाह वाह, ।।शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाए।</p> आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, हा…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9217612018-03-26T14:34:43.370ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, हार्दिक धन्यवाद. </p>
<p>आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी, हार्दिक धन्यवाद. </p> आदरणीय लक्ष्मण जी, हार्दिक धन…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9214772018-03-26T14:33:03.841ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, हार्दिक धन्यवाद.</p> बहुत सुन्दर रचना.
बधाई स्वीका…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9214742018-03-26T14:28:04.510ZAjay Kumar Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSharma805
<p>बहुत सुन्दर रचना.</p>
<p>बधाई स्वीकार करें...</p>
<p>बहुत सुन्दर रचना.</p>
<p>बधाई स्वीकार करें...</p> आ. भाई अजय जी , बेहतरीन गजल ह…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9215522018-03-26T12:37:47.872Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अजय जी , बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई अजय जी , बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय सुशील जी, हार्दिक धन्य…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9217542018-03-26T12:16:12.501ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय सुशील जी, हार्दिक धन्यवाद..</p>
<p>आदरणीय सुशील जी, हार्दिक धन्यवाद..</p> जब हो जरूरत खिल जायेंगे, फिर…tag:openbooks.ning.com,2018-03-26:5170231:Comment:9215462018-03-26T11:30:09.318ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>जब हो जरूरत खिल जायेंगे, फिर से सुनहरी लपटों में</p>
<p>राख में अपनी दबे है लेकिन, हैं जलते अंगारे हम.</p>
<p>वाह आदरणीय वाह बहुत सुंदर भावों को आपने ग़ज़ल में समाहित किया है। हार्दिक बधाई स्वीकारें सर।</p>
<p>जब हो जरूरत खिल जायेंगे, फिर से सुनहरी लपटों में</p>
<p>राख में अपनी दबे है लेकिन, हैं जलते अंगारे हम.</p>
<p>वाह आदरणीय वाह बहुत सुंदर भावों को आपने ग़ज़ल में समाहित किया है। हार्दिक बधाई स्वीकारें सर।</p>