Comments - कुंडलिया छंद - Open Books Online2024-03-28T17:00:22Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A919369&xn_auth=noआदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी , सा…tag:openbooks.ning.com,2018-03-21:5170231:Comment:9206102018-03-21T10:16:44.833ZAnamika singh Anahttps://openbooks.ning.com/profile/AnamikasinghAna
<ul>
<li>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी , सादर अभिवादन , मेरे प्रयास की सराहना हेतु आपका अतिशय आभार..किसी भी विषय पर व्यक्तिगत राय विभिन्न व्यक्तियों की अलग - अलग हो सकती है..सहमति असहमति होती ही है..पुन : मेरी प्रस्तुति को सराहने हेतु आभार स्वीकार कीजिए! </li>
</ul>
<ul>
<li>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी , सादर अभिवादन , मेरे प्रयास की सराहना हेतु आपका अतिशय आभार..किसी भी विषय पर व्यक्तिगत राय विभिन्न व्यक्तियों की अलग - अलग हो सकती है..सहमति असहमति होती ही है..पुन : मेरी प्रस्तुति को सराहने हेतु आभार स्वीकार कीजिए! </li>
</ul> आद0 अनामिका जी सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2018-03-20:5170231:Comment:9204272018-03-20T14:02:07.161Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अनामिका जी सादर अभिवादन। बढिया कुण्डलिया छंद का प्रयास। शेष गुणीजनों ने बढिया सलाह भी दी है। पर व्यक्तिगत रूप से मैं आपके कथ्य का समर्थन नहीं करता। और सुनी सुनाई बातों पर यकीन भी नहीं करता। बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये</p>
<p>आद0 अनामिका जी सादर अभिवादन। बढिया कुण्डलिया छंद का प्रयास। शेष गुणीजनों ने बढिया सलाह भी दी है। पर व्यक्तिगत रूप से मैं आपके कथ्य का समर्थन नहीं करता। और सुनी सुनाई बातों पर यकीन भी नहीं करता। बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये</p> आदरणीया प्रतिभा जी , प्रस्तुत…tag:openbooks.ning.com,2018-03-19:5170231:Comment:9200362018-03-19T08:20:32.916ZAnamika singh Anahttps://openbooks.ning.com/profile/AnamikasinghAna
<p>आदरणीया प्रतिभा जी , प्रस्तुत छंद को स्नेह देने हेतु अतिशय आभार आपका , निश्चित ही ताज भारत का गौरव बढ़ाता ऐतिहासिक स्मारक है.. </p>
<p>मेरा मंतव्य नहीं था कि मेरी रचना से धरोहर विवादित हो..ताज निर्माण के नेपथ्य में जो हुआ वही विचार लिखा ..सादर </p>
<p>आदरणीया प्रतिभा जी , प्रस्तुत छंद को स्नेह देने हेतु अतिशय आभार आपका , निश्चित ही ताज भारत का गौरव बढ़ाता ऐतिहासिक स्मारक है.. </p>
<p>मेरा मंतव्य नहीं था कि मेरी रचना से धरोहर विवादित हो..ताज निर्माण के नेपथ्य में जो हुआ वही विचार लिखा ..सादर </p> आदरणीय अखिलेश जी , प्रस्तुत छ…tag:openbooks.ning.com,2018-03-19:5170231:Comment:9201312018-03-19T07:08:24.039ZAnamika singh Anahttps://openbooks.ning.com/profile/AnamikasinghAna
<p>आदरणीय अखिलेश जी , प्रस्तुत छंद की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ..आपने कुछ शब्दों से नवीन रूप दे दिया कुंडलिया को..सादर</p>
<p>आदरणीय अखिलेश जी , प्रस्तुत छंद की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ..आपने कुछ शब्दों से नवीन रूप दे दिया कुंडलिया को..सादर</p> ताज विषय लेकर सुन्दर सुगढ़ कुण…tag:openbooks.ning.com,2018-03-18:5170231:Comment:9202152018-03-18T14:31:55.375Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>ताज विषय लेकर सुन्दर सुगढ़ कुण्डलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया ..अनामिका जी . मेरी व्यक्तिगत राय में देश की एतिहासिक धरोहरों को विवादों से परे रखना चाहिए </p>
<p> ...</p>
<p>ताज विषय लेकर सुन्दर सुगढ़ कुण्डलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया ..अनामिका जी . मेरी व्यक्तिगत राय में देश की एतिहासिक धरोहरों को विवादों से परे रखना चाहिए </p>
<p> ...</p> आदरणीया अनामिकाजी
हृदय से बध…tag:openbooks.ning.com,2018-03-17:5170231:Comment:9196732018-03-17T10:17:34.573Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीया अनामिकाजी</p>
<p>हृदय से बधाई, लाखों के मन की बात कहती सुंदर कुण्डलिया। मिडिल स्कूल में इस घटना को पढ़कर मैं द्रवित हो उठा था। उसी उम्र में यह संकल्प लिया था कि कभी ताजमहल नहीं देखूंगा और अब तक इसे निभाते आया हूँ। कुछ पंक्तियों को मैं यूँ लिखता.....</p>
<p> </p>
<p>माना ताज मिसाल है , सुंदरता की एक l</p>
<p>चीख गूँजती हैं यहाँ , करुणा भरी अनेक ll ... [ताजमहल देखकर सहृदय व्यक्ति को आज भी यह आभास होता है, यही बात लोग जलियावालाँ बाग के संबंध में भी कहते हैं।</p>
<p></p>
<p> करुणा भरी…</p>
<p>आदरणीया अनामिकाजी</p>
<p>हृदय से बधाई, लाखों के मन की बात कहती सुंदर कुण्डलिया। मिडिल स्कूल में इस घटना को पढ़कर मैं द्रवित हो उठा था। उसी उम्र में यह संकल्प लिया था कि कभी ताजमहल नहीं देखूंगा और अब तक इसे निभाते आया हूँ। कुछ पंक्तियों को मैं यूँ लिखता.....</p>
<p> </p>
<p>माना ताज मिसाल है , सुंदरता की एक l</p>
<p>चीख गूँजती हैं यहाँ , करुणा भरी अनेक ll ... [ताजमहल देखकर सहृदय व्यक्ति को आज भी यह आभास होता है, यही बात लोग जलियावालाँ बाग के संबंध में भी कहते हैं।</p>
<p></p>
<p> करुणा भरी अनेक , इसी पर लिखी कहानी l</p>
<p> कटे करों से खून, बहा है बनकर पानी ll</p>
<p> 'अना' जान ले सत्य, ताज का हर दीवाना l</p>
<p> प्रेम निशानी ताज, भूलवश हमने माना ll</p>
<p>सादर</p>
<p> </p> मेरे कहे को मान देने के लिए ध…tag:openbooks.ning.com,2018-03-17:5170231:Comment:9197812018-03-17T09:56:16.011ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।</p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।</p> आदरणीय समर कबीर जी , प्रस्तुत…tag:openbooks.ning.com,2018-03-17:5170231:Comment:9199102018-03-17T09:38:30.464ZAnamika singh Anahttps://openbooks.ning.com/profile/AnamikasinghAna
<p>आदरणीय समर कबीर जी , प्रस्तुत कुंडलिया छंद को सराहने हेतु हार्दिक आभार आपका..आपके सुंदर सुझाव का बेहद स्वागत है..मैंने रचना मे</p>
<p>के शिल्प में सुधार कर दिया है..पुन : बेहद आभार आपका..सादर !</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी , प्रस्तुत कुंडलिया छंद को सराहने हेतु हार्दिक आभार आपका..आपके सुंदर सुझाव का बेहद स्वागत है..मैंने रचना मे</p>
<p>के शिल्प में सुधार कर दिया है..पुन : बेहद आभार आपका..सादर !</p> मोहतरमा अनामिका सिंह "अना' जी…tag:openbooks.ning.com,2018-03-16:5170231:Comment:9195502018-03-16T09:44:47.442ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मोहतरमा अनामिका सिंह "अना' जी आदाब, अच्छा छन्द हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'चीख गूँजतीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'</p>
<p>इस पंक्ति में"गूँजतीं', 'हैं' और "अनेक" शब्द बहुवचन हैं,और 'चीख' शब्द एक वचन,इसलिये इस पंक्ति को यूँ होना चाहिये:-</p>
<p>"चीख़ें गूंजीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'</p>
<p>मोहतरमा अनामिका सिंह "अना' जी आदाब, अच्छा छन्द हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'चीख गूँजतीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'</p>
<p>इस पंक्ति में"गूँजतीं', 'हैं' और "अनेक" शब्द बहुवचन हैं,और 'चीख' शब्द एक वचन,इसलिये इस पंक्ति को यूँ होना चाहिये:-</p>
<p>"चीख़ें गूंजीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'</p> आदरणीय मो. आरिफ जी , सादर प्…tag:openbooks.ning.com,2018-03-16:5170231:Comment:9194042018-03-16T09:32:42.871ZAnamika singh Anahttps://openbooks.ning.com/profile/AnamikasinghAna
<p> आदरणीय मो. आरिफ जी , सादर प्रणाम !</p>
<p> आपकी सुझावयुक्त प्रोत्साहित प्रतिक्रिया हेतु अतिशय आभार ! </p>
<p>किंतु मैंने ए और ऐ दोनों का मात्राभार गुरु ही पढ़ा है ..संत कबीरदास जी का एक दोहा साझा कर रही हूँ ...</p>
<p></p>
<p> सुमिरन की सुधि यों करो जैसे कामी काम</p>
<p> एक पलक बिसरै नहीं निश दिन आठों जाम</p>
<p></p>
<p> शिल्प में और कोई कमी हो तो अवश्य बताएँ l कथ्य को अच्छा बनाने का मेरा प्रयास जारी है, सादर l</p>
<p></p>
<p> आदरणीय मो. आरिफ जी , सादर प्रणाम !</p>
<p> आपकी सुझावयुक्त प्रोत्साहित प्रतिक्रिया हेतु अतिशय आभार ! </p>
<p>किंतु मैंने ए और ऐ दोनों का मात्राभार गुरु ही पढ़ा है ..संत कबीरदास जी का एक दोहा साझा कर रही हूँ ...</p>
<p></p>
<p> सुमिरन की सुधि यों करो जैसे कामी काम</p>
<p> एक पलक बिसरै नहीं निश दिन आठों जाम</p>
<p></p>
<p> शिल्प में और कोई कमी हो तो अवश्य बताएँ l कथ्य को अच्छा बनाने का मेरा प्रयास जारी है, सादर l</p>
<p></p>