Comments - हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया- सलीम रज़ा - Open Books Online2024-03-29T07:57:18Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A909867&xn_auth=noबहुत ही कसी हुई खूबसूरत गज़ल।…tag:openbooks.ning.com,2018-01-25:5170231:Comment:9109132018-01-25T07:43:41.839Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत ही कसी हुई खूबसूरत गज़ल। हार्दिक बधाई।</p>
<p>बहुत ही कसी हुई खूबसूरत गज़ल। हार्दिक बधाई।</p> अमोद भाई,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़…tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107712018-01-24T17:03:10.978ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
अमोद भाई,<br />
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त के लिए शुक्रिया.
अमोद भाई,<br />
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त के लिए शुक्रिया. जनाब आरिफ साहब,
ग़ज़ल पर आपकी…tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107702018-01-24T17:02:46.107ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
जनाब आरिफ साहब,<br />
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली.
जनाब आरिफ साहब,<br />
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली. महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की तार…tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107692018-01-24T17:02:23.795ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया बलराम जी ग़ज़ल पसंद करने के ल…tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107682018-01-24T17:01:52.966ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
बलराम जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
बलराम जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. बहुत खूब आदरणीय सादर बधाई tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9108122018-01-24T15:19:30.016Zamod shrivastav (bindouri)https://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
<p>बहुत खूब आदरणीय सादर बधाई </p>
<p>बहुत खूब आदरणीय सादर बधाई </p> आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,
…tag:openbooks.ning.com,2018-01-24:5170231:Comment:9106732018-01-24T02:32:00.725ZMohammed Arifhttps://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,</p>
<p> बहुत भी प्रभावशाली ग़ज़ल कही । हर शे'र भाव प्रवणता लिए है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें।</p>
<p>आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,</p>
<p> बहुत भी प्रभावशाली ग़ज़ल कही । हर शे'र भाव प्रवणता लिए है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें।</p> जो ज़ख्म खाके भी रहा है आपक…tag:openbooks.ning.com,2018-01-23:5170231:Comment:9106632018-01-23T14:48:13.808ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p><span>जो ज़ख्म खाके भी रहा है आपका सदा </span><br/><span>उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया ...बहुत ख़ूब! </span></p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल है आ. सलीम जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.</p>
<p><span>जो ज़ख्म खाके भी रहा है आपका सदा </span><br/><span>उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया ...बहुत ख़ूब! </span></p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल है आ. सलीम जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.</p> बहुत बढ़िया ग़ज़ल, जनाब रज़ा साहब…tag:openbooks.ning.com,2018-01-23:5170231:Comment:9106522018-01-23T12:52:05.104ZBalram Dhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/BalramDhakar
बहुत बढ़िया ग़ज़ल, जनाब रज़ा साहब। दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल, जनाब रज़ा साहब। दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। आ. तेजवीर सिंह जी,
बहुत शुक्र…tag:openbooks.ning.com,2018-01-23:5170231:Comment:9106512018-01-23T08:59:55.722ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
आ. तेजवीर सिंह जी,<br />
बहुत शुक्रिया.
आ. तेजवीर सिंह जी,<br />
बहुत शुक्रिया.