Comments - कशिश - Open Books Online2024-03-29T11:17:03Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A894225&xn_auth=noबहुत हिफ़ाज़त से सहेजा है उसन…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8949002017-11-04T13:48:39.133Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p><span>बहुत हिफ़ाज़त से सहेजा है उसने</span><br/><span>गर्म नाज़ुक एहसासों भरे</span><br/><span>चाय और कशिश के इस अटूट साथ को</span>----------------कविता के रहस्य को खोलती ये अंतिम पंक्तियां , साधुवाद आदरणीया</p>
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<p><span>बहुत हिफ़ाज़त से सहेजा है उसने</span><br/><span>गर्म नाज़ुक एहसासों भरे</span><br/><span>चाय और कशिश के इस अटूट साथ को</span>----------------कविता के रहस्य को खोलती ये अंतिम पंक्तियां , साधुवाद आदरणीया</p>
<p></p> आदरणीया प्राची सिंह जी सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8950692017-11-04T13:26:36.813ZGajendra shrotriyahttps://openbooks.ning.com/profile/Gajendrashrotriya
आदरणीया प्राची सिंह जी सादर अभिवादन!बहुत खूबसूरती से एक सार्थक और सांकेतिक बिम्ब काव्य रचा है आपने। वाह! बहुत बधाई आपको।
आदरणीया प्राची सिंह जी सादर अभिवादन!बहुत खूबसूरती से एक सार्थक और सांकेतिक बिम्ब काव्य रचा है आपने। वाह! बहुत बधाई आपको। सुंदर रचना tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8948972017-11-04T12:18:42.004Znarendrasinh chauhanhttps://openbooks.ning.com/profile/narendrasinhchauhan
<p><span>सुंदर रचना </span></p>
<p><span>सुंदर रचना </span></p> आ. प्राची बहन, सुंदर रचना हुई…tag:openbooks.ning.com,2017-11-04:5170231:Comment:8950482017-11-04T01:23:04.255Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
आ. प्राची बहन, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
आ. प्राची बहन, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई । सुंदर रचना नया ज़ाविया, नया फ…tag:openbooks.ning.com,2017-11-02:5170231:Comment:8945912017-11-02T15:37:19.077ZAfroz 'sahr'https://openbooks.ning.com/profile/Afrozsahr
सुंदर रचना नया ज़ाविया, नया फ्लेवर "चाय और कशिश" क्या बात है। बहुत बधाई आपको मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा,,,,
सुंदर रचना नया ज़ाविया, नया फ्लेवर "चाय और कशिश" क्या बात है। बहुत बधाई आपको मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा,,,, ,बहुत सुंदर रचनाtag:openbooks.ning.com,2017-11-02:5170231:Comment:8946692017-11-02T12:14:14.412Znarendrasinh chauhanhttps://openbooks.ning.com/profile/narendrasinhchauhan
<p><span>,बहुत सुंदर रचना</span></p>
<p><span>,बहुत सुंदर रचना</span></p> मोहतरमा प्राची साहिबा आदाब,बह…tag:openbooks.ning.com,2017-11-02:5170231:Comment:8947852017-11-02T09:32:13.319ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा प्राची साहिबा आदाब,बहुत सुंदर रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
मोहतरमा प्राची साहिबा आदाब,बहुत सुंदर रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । 'चाय और कशिश'और अनावश्यक/ कृत…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8944302017-11-01T11:48:08.631ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
'चाय और कशिश'और अनावश्यक/ कृत्रिम मिठास, सादगी और अहसास... बहुत ही सधे हुए सांकेतिक भावपूर्ण सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया डॉ. प्राची जी।
'चाय और कशिश'और अनावश्यक/ कृत्रिम मिठास, सादगी और अहसास... बहुत ही सधे हुए सांकेतिक भावपूर्ण सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया डॉ. प्राची जी। आदरणीया प्राची जी इस सहजता से…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8944182017-11-01T10:37:15.677ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीया प्राची जी इस सहजता से ओतप्रोत इस शानदार रचना केलिए ढेर सारी बधाई सादर </p>
<p><span>चाय और कशिश .....ये नहीं समझ सका </span></p>
<p>आदरणीया प्राची जी इस सहजता से ओतप्रोत इस शानदार रचना केलिए ढेर सारी बधाई सादर </p>
<p><span>चाय और कशिश .....ये नहीं समझ सका </span></p>