Comments - जानामि त्वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोन:[कालिदास कृत ‘मेघदूत’ की कथा-वस्तु-, भाग-2 ] - डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव - Open Books Online2024-03-29T10:31:30Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A890417&xn_auth=noआ० वृजेश कुमार जी , इन ग्रंथो…tag:openbooks.ning.com,2017-10-20:5170231:Comment:8906562017-10-20T05:58:06.941Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० वृजेश कुमार जी , इन ग्रंथों को लोग कम पढ़ते है पर अद्भुत हैं ये रचनाये . मैंने एक कोशिश की है परिचय कराने की .. आपका आभार .</p>
<p>आ० वृजेश कुमार जी , इन ग्रंथों को लोग कम पढ़ते है पर अद्भुत हैं ये रचनाये . मैंने एक कोशिश की है परिचय कराने की .. आपका आभार .</p> आ० सलीम रजा साहिब , बहुत बहुत…tag:openbooks.ning.com,2017-10-20:5170231:Comment:8907492017-10-20T05:55:08.030Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० सलीम रजा साहिब , बहुत बहुत आभार .</p>
<p>आ० सलीम रजा साहिब , बहुत बहुत आभार .</p> आ० अजय तिवारी . यहाँ तो कथावस…tag:openbooks.ning.com,2017-10-20:5170231:Comment:8906552017-10-20T05:52:40.873Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० अजय तिवारी . यहाँ तो कथावस्तु मात्र है . मैंने पूरे ग्रन्थ का ककुभ छंद में भावानुवाद भी किया है . सादर .</p>
<p>आ० अजय तिवारी . यहाँ तो कथावस्तु मात्र है . मैंने पूरे ग्रन्थ का ककुभ छंद में भावानुवाद भी किया है . सादर .</p> एक महान ग्रन्थ का हिंदी अनुवा…tag:openbooks.ning.com,2017-10-20:5170231:Comment:8906442017-10-20T04:20:13.932Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
एक महान ग्रन्थ का हिंदी अनुवाद आपने हमें उपलब्ध करवाया उसके आभार आदरणीय..
एक महान ग्रन्थ का हिंदी अनुवाद आपने हमें उपलब्ध करवाया उसके आभार आदरणीय.. आ. ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाईtag:openbooks.ning.com,2017-10-19:5170231:Comment:8904832017-10-19T04:18:07.231ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
आ. ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई
आ. ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई आदरणीय गोपाल नारायण जी,
मेघदू…tag:openbooks.ning.com,2017-10-19:5170231:Comment:8905582017-10-19T02:19:42.294ZAjay Tiwarihttps://openbooks.ning.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय गोपाल नारायण जी,</p>
<p>मेघदूत की बहुत अच्छी पुनर्रचना की है. दीपोत्सव की शुभकामनाएं .</p>
<p>सादर </p>
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<p>आदरणीय गोपाल नारायण जी,</p>
<p>मेघदूत की बहुत अच्छी पुनर्रचना की है. दीपोत्सव की शुभकामनाएं .</p>
<p>सादर </p>
<p> </p> आपको भी दीपावली की हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2017-10-18:5170231:Comment:8905482017-10-18T14:58:42.219ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
आपको भी दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
आपको भी दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं । आदरणीय समर कबीर साहिब , आपसे…tag:openbooks.ning.com,2017-10-18:5170231:Comment:8905462017-10-18T14:11:54.334Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब , आपसे सदैव बल मिलता है , आपका आभारी हूँ . शुभ दीवाली .</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब , आपसे सदैव बल मिलता है , आपका आभारी हूँ . शुभ दीवाली .</p> जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,इस…tag:openbooks.ning.com,2017-10-18:5170231:Comment:8902662017-10-18T12:18:47.871ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।