Comments - इस प्यार को सदा ही निभाते रहेंगे हम - Open Books Online2024-03-28T18:00:35Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A877986&xn_auth=noजनाब मुनीश तन्हा साहिब ,ग़ज़ल क…tag:openbooks.ning.com,2017-09-04:5170231:Comment:8791072017-09-04T08:38:56.837ZTasdiq Ahmed Khanhttps://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब मुनीश तन्हा साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। शेर 2 उला मिसरे में अगर रही को रही अगर कर लीजिए ,आपने ग़ज़ल में क़ाफिये सही नहीं लिए ,देखियेगा ---/<br />
(रहेंगे,सहेंगे,कहेंगे ),चलेंगे ,(खिलेंगे,सिलेंगे,मिलेंगे ), बचेंगे ---
जनाब मुनीश तन्हा साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। शेर 2 उला मिसरे में अगर रही को रही अगर कर लीजिए ,आपने ग़ज़ल में क़ाफिये सही नहीं लिए ,देखियेगा ---/<br />
(रहेंगे,सहेंगे,कहेंगे ),चलेंगे ,(खिलेंगे,सिलेंगे,मिलेंगे ), बचेंगे --- आदरणीय मुनीश भाई , अच्छी गज़ल…tag:openbooks.ning.com,2017-09-02:5170231:Comment:8788422017-09-02T12:53:03.592Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय मुनीश भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय मुनीश भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p> आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब…tag:openbooks.ning.com,2017-09-02:5170231:Comment:8785622017-09-02T00:15:47.881Zनाथ सोनांचलीhttps://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए क़ाफ़िया बन्दी पर जनाब समर साहब की बात का संज्ञान लें।
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए क़ाफ़िया बन्दी पर जनाब समर साहब की बात का संज्ञान लें। जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8785422017-09-01T10:03:18.126ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'अगर रही'
जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'अगर रही' आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब…tag:openbooks.ning.com,2017-09-01:5170231:Comment:8787122017-09-01T05:44:46.495ZMohammed Arifhttps://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे । बेहतरीनtag:openbooks.ning.com,2017-08-31:5170231:Comment:8780602017-08-31T10:33:25.504ZPHOOL SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p><span>बेहतरीन</span></p>
<p><span>बेहतरीन</span></p>