Comments - ग़ज़ल --2122--1122--1122--112(22) - Open Books Online2024-03-28T21:54:40Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A869988&xn_auth=noआदरणीय khursheed khairadi सा…tag:openbooks.ning.com,2017-08-14:5170231:Comment:8739272017-08-14T18:45:21.870ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"https://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p>आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi">khursheed khairadi</a> साहब,<br/>यूँ पूरी ग़ज़ल ही बहुत उम्दा हुई है पर मक्ता का तो जवाब नहीं | दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें | </p>
<p>आदरणीय <a class="nolink"> </a><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi">khursheed khairadi</a> साहब,<br/>यूँ पूरी ग़ज़ल ही बहुत उम्दा हुई है पर मक्ता का तो जवाब नहीं | दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें | </p> आदरणीय खुर्शीद जी कमाल की ग़ज…tag:openbooks.ning.com,2017-08-06:5170231:Comment:8715862017-08-06T07:33:09.506ZRavi Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय खुर्शीद जी कमाल की ग़ज़ल कही आपने हर शेर उम्दा है मकता खासतौर पर पसंद आया इसके लिए दिली मुबारकबाद कुबूल करें</p>
<p>आदरणीय खुर्शीद जी कमाल की ग़ज़ल कही आपने हर शेर उम्दा है मकता खासतौर पर पसंद आया इसके लिए दिली मुबारकबाद कुबूल करें</p> बहुत ही अच्छी गज़ल कही है, जना…tag:openbooks.ning.com,2017-08-02:5170231:Comment:8712442017-08-02T04:17:17.434Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत ही अच्छी गज़ल कही है, <span>जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब । दिल से बधाई।</span></p>
<p>बहुत ही अच्छी गज़ल कही है, <span>जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब । दिल से बधाई।</span></p> आ. भाई खुर्शीद जी सुंदर गजल ह…tag:openbooks.ning.com,2017-08-01:5170231:Comment:8709782017-08-01T06:11:24.717Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई खुर्शीद जी सुंदर गजल हूई है। हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई खुर्शीद जी सुंदर गजल हूई है। हार्दिक बधाई ।</p> कोई 'खुरशीद' कहीं हो तो सुने…tag:openbooks.ning.com,2017-08-01:5170231:Comment:8707822017-08-01T03:57:59.502ZGurpreet Singh jammuhttps://openbooks.ning.com/profile/GurpreetSingh624
<p>कोई 'खुरशीद' कहीं हो तो सुने मेरी सदा<br/>गाँव के आख़री घर तक भी उजाला जाए<br/> वाह वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय खुर्शीद जी</p>
<p>कोई 'खुरशीद' कहीं हो तो सुने मेरी सदा<br/>गाँव के आख़री घर तक भी उजाला जाए<br/> वाह वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय खुर्शीद जी</p> वाह वाह आदरणीय बहुत ही शानदार…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8707172017-07-31T14:36:07.449Zबृजेश कुमार 'ब्रज'https://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
वाह वाह आदरणीय बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई..सादर
वाह वाह आदरणीय बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई..सादर जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदा…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8705292017-07-31T10:03:13.659ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
'आपने कह दिया झट से कि मैं,मैं हूँ ही नहीं'<br />
इस मिसरे में 'मैं,मैं'कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ।
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
'आपने कह दिया झट से कि मैं,मैं हूँ ही नहीं'<br />
इस मिसरे में 'मैं,मैं'कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ।