Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T06:14:23Zhttps://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A863184&xn_auth=noजी आदरणीय समर कबीर जी बेहद शु…tag:openbooks.ning.com,2017-06-28:5170231:Comment:8638472017-06-28T12:18:47.017Zsurender insanhttps://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदरणीय समर कबीर जी बेहद शुक्रिया जी आपका और आपने बेहद लाजवाब उदाहरण दिया है उसके लिए बहुत बहुत आभार जी।
जी आदरणीय समर कबीर जी बेहद शुक्रिया जी आपका और आपने बेहद लाजवाब उदाहरण दिया है उसके लिए बहुत बहुत आभार जी। जी,बिल्कुल गिरा सकते हैं,'फेल…tag:openbooks.ning.com,2017-06-27:5170231:Comment:8637252017-06-27T09:33:45.430ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जी,बिल्कुल गिरा सकते हैं,'फेलुन' को 'फ़इलुन' भी कर सकते हैं,लेकिन ये मात्रिक बह्र है, इसमें लय का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत होती है ,जैसे मिसाल के तौर पर 'मीर' की ग़ज़ल का ये मशहूर मतला देखिये,इसके सानी मिसरे में मात्रा गिराई गई है :-<br />
<br />
'पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है<br />
जाने न जाने ग़ल ही न जाने,बाग़ तो सारा जाने है'
जी,बिल्कुल गिरा सकते हैं,'फेलुन' को 'फ़इलुन' भी कर सकते हैं,लेकिन ये मात्रिक बह्र है, इसमें लय का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत होती है ,जैसे मिसाल के तौर पर 'मीर' की ग़ज़ल का ये मशहूर मतला देखिये,इसके सानी मिसरे में मात्रा गिराई गई है :-<br />
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'पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है<br />
जाने न जाने ग़ल ही न जाने,बाग़ तो सारा जाने है' जी आदरणीय ये 22 22 22 2 पर है…tag:openbooks.ning.com,2017-06-27:5170231:Comment:8635272017-06-27T09:26:08.818Zsurender insanhttps://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदरणीय ये 22 22 22 2 पर है जी । अरकान लिखने बारे मुझे धयान नहीं रहा जी। यह मेरी पहली पोस्ट है जी पटल पर।सादर जी।
जी आदरणीय ये 22 22 22 2 पर है जी । अरकान लिखने बारे मुझे धयान नहीं रहा जी। यह मेरी पहली पोस्ट है जी पटल पर।सादर जी। जी आदरणीय समर कबीर साहब जी बे…tag:openbooks.ning.com,2017-06-27:5170231:Comment:8636232017-06-27T09:23:16.071Zsurender insanhttps://openbooks.ning.com/profile/surenderinsan
जी आदरणीय समर कबीर साहब जी बेहद दिली शुक्रिया जी आपका ग़ज़ल को आपने अपना कीमती समय दिया। आदरणीय क्या इस बह्र में मात्रा गिरा सकते है या नहीं।<br />
मतले का मिसरा ए उला "उसकी22 मोज़21 में*1 रहता22 हूँ2"<br />
क्या ये सही है या गलत है जी। दोनों शेर आपके सुझाव अनुसार करूँगा जी ।बहुत बहुत आभार जी।
जी आदरणीय समर कबीर साहब जी बेहद दिली शुक्रिया जी आपका ग़ज़ल को आपने अपना कीमती समय दिया। आदरणीय क्या इस बह्र में मात्रा गिरा सकते है या नहीं।<br />
मतले का मिसरा ए उला "उसकी22 मोज़21 में*1 रहता22 हूँ2"<br />
क्या ये सही है या गलत है जी। दोनों शेर आपके सुझाव अनुसार करूँगा जी ।बहुत बहुत आभार जी। जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2017-06-27:5170231:Comment:8637182017-06-27T06:32:32.095ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
मंच के नियमानुसार आपने ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे ?आपकी ग़ज़ल के अरकान हैं फेलुन फेलुन फेलुन फ़ा(22 22 22 2)इस हिसाब से जब ग़ज़ल देखें तो मतले के ऊला मिसरे में मात्रा गिर जायेगी ।<br />
दूसरा शैर इस तरह कर लीजिये लय में नहीं है :-<br />
<br />
'शैर अगर हों आमद के<br />
ग़ज़ल तभी मैं कहता हूँ'<br />
<br />
'सच्ची बात कहूँ जब में<br />
तंज़ सभी के सहता हूँ'<br />
इस शैर के ऊला मिसरे को इस तरह कहें तो शैर का कहन मज़बूत हो जायेगा :-<br />
<br />
"कह कर सच्ची बात यहाँ<br />
तंज़ सभी…
जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
मंच के नियमानुसार आपने ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे ?आपकी ग़ज़ल के अरकान हैं फेलुन फेलुन फेलुन फ़ा(22 22 22 2)इस हिसाब से जब ग़ज़ल देखें तो मतले के ऊला मिसरे में मात्रा गिर जायेगी ।<br />
दूसरा शैर इस तरह कर लीजिये लय में नहीं है :-<br />
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'शैर अगर हों आमद के<br />
ग़ज़ल तभी मैं कहता हूँ'<br />
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'सच्ची बात कहूँ जब में<br />
तंज़ सभी के सहता हूँ'<br />
इस शैर के ऊला मिसरे को इस तरह कहें तो शैर का कहन मज़बूत हो जायेगा :-<br />
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"कह कर सच्ची बात यहाँ<br />
तंज़ सभी के सहता हूँ"<br />
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बाक़ी शुभ शुभ । अगर बहर २ २ २ २ २ २ २ है तो…tag:openbooks.ning.com,2017-06-26:5170231:Comment:8632012017-06-26T13:35:24.761Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>अगर बहर २ २ २ २ २ २ २ है तो-----------उसकी मौज़ में रहता हूँ।---------ख़ुद हो शेर अगर आमद।----इनकी मात्राएँ फिर से देखें .</p>
<p>अगर बहर २ २ २ २ २ २ २ है तो-----------उसकी मौज़ में रहता हूँ।---------ख़ुद हो शेर अगर आमद।----इनकी मात्राएँ फिर से देखें .</p>